हाइलाइट्स :
रणजी ट्राफी।
सुनील गावस्कर ने टेस्ट प्रोत्साहन योजना को रणजी ट्राफी में भी लागू करने की मांग की है।
गावस्कर ने कहा अगर रणजी ट्रॉफ़ी की फीस दोगुनी या तिगुनी हो जाती है तब अधिक संख्या में खिलाड़ी रणजी खेलेंगे।
मुबंई। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने टेस्ट प्रोत्साहन योजना को रणजी ट्राफी में भी लागू करने की मांग की है। भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) ने हाल ही में टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ियों के लिये इंसेटिव स्कीम लागू करने की घोषणा की थी जिसमें भारत के लिए 75 फ़ीसदी टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ी को 45 लाख रुपए और 50 से 75 फ़ीसदी तक टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ियों को 30 लाख रुपए अतिरिक्त मिलेंगे। यह राशि मैच फ़ीस के तौर पर मिलने वाली 15 लाख रुपए से अलग होगी।
गावस्कर ने शुक्रवार को मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “ टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के संबंध में बीसीसीआई ने एक बेहतरीन क़दम उठाया है लेकिन मैं बीसीसीआई से रणजी की तरफ़ भी ध्यान देने के लिए आग्रह करना चाहूंगा जो कि टेस्ट टीम को खड़ा करने में एक अहम भूमिका निभाता है।” मौजूदा समय में रणजी खेलने वाले एक खिलाड़ी को प्रति मैच दो लाख रुपए मिलते हैं। अगर खिलाड़ी रणजी के किसी सीज़न का हर मैच खेलता है और उसकी टीम फ़ाइनल में पहुंचती है तब उसके हिस्से में 10 मुक़ाबले आते हैं। विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी के लिए मैच फ़ीस 50 हज़ार जबकि सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी के लिए मैच फ़ीस 17 हजार 500 रुपए है।
गावस्कर ने कहा, “ अगर रणजी ट्रॉफ़ी की फ़ीस दोगुनी या तिगुनी हो जाती है तब अधिक संख्या में खिलाड़ी रणजी खेलते हुए दिखाई देंगे, मैं बीसीसीआई से इस संबंध में भी ध्यान देने का आग्रह करना चाहता हूं।” उन्होने रणजी ट्रॉफ़ी के शेड्यूल पर दोबारा विचार करने की मांग करते हुये कहा कि घरेलू सीज़न का अंत विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी के साथ होना चाहिए और रणजी का आयोजन अक्तूबर से दिसंबर के बीच होना चाहिए। ऐसी व्यवस्था होने से, भारत के लिए खेलने वाले खिलाड़ियों को छोड़कर हर कोई रणजी खेलने के लिए उपलब्ध रह पाएगा। और ना खेलने का कोई बहाना भी नहीं होगा।
दिग्गज खिलाड़ी ने कहा, “ हर खिलाड़ी को उसके करियर में घरेलू क्रिकेट का योगदान समझना चाहिए। अगर घरेलू क्रिकेट नहीं होता तो वे किसी भी प्रारूप में उस जगह नहीं पहुंच पाते जहां वे आज हैं। कुछ ही खिलाड़ी ऐसे हैं जो बिना घरेलू क्रिकेट खेले अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेल पाए हैं लेकिन उन्होंने भी जूनियर स्तर पर या अंडर 19 स्तर पर क्रिकेट को खेला ही है। खिलाड़ियों को यह कभी नहीं भूलना चाहिए।”
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