अलवर। देश की प्रसिद्ध रेसलर और पदम श्री से सम्मानित साक्षी मलिक ने कहा कि खेलों में महिलाओं के बढ़ते रुझान को देखते हुए ऐसा लगता है कि अब परिजनों ने भी अपनी मानसिकता में बदलाव किया है। साक्षी मलिक आज रानी लक्ष्मीबाई मार्शल आर्ट अकादमी द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय सम्मान समारोह में भाग लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रही थी। उन्होंने बताया कि जिस वक्त उन्होंने रेसलिंग में शुरुआत की उस वक्त सेंटर पर तीन चार लड़कियां थी और इन 18 साल में काफी बदलाव देखा गया है। अब उसी सेंटर पर करीब 70 लड़कियां हैं। यह इस कारण संभव हुआ है कि रेसलिंग में लड़कियां अब मेडल लेकर आ रही हैं इसलिए परिजनों की भी मानसिकता में बदलाव आया है।
उन्होंने बताया कि खेलों के प्रति अपने रुझान को बरकरार रखने के लिए ग्रास रूट पर काम करना चाहिए। हर गांव में खेल नहीं हो सकते, लेकिन कुछ गांवों को चिन्हित कर वहां पर प्रशिक्षण लिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अब उनका आगामी फोकस अगले साल होने वाले एशियन गेम पर है। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने रेसलिंग में अपनी शुरुआत की तब कोई पाटनर नहीं थे, अब तो वर्ल्ड लेवल के संसाधन उपलब्ध है।
राजस्थान में और एक ग्रामीण ओलंपिक के संबंध में उन्होंने कहा कि इन खेलों से उनमें रुचि लगेगी और जब मेडल मिलने लगेंगे तो खिलाड़ी आगे बढ़ता है। युवाओं को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि अब परिवार जन भी चाहते हैं कि उनका बेटा खेलों में जाए और इसके लिए लगन कठिन परिश्रम बहुत जरूरी है।
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