बर्मिंघम। ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन पिछले साल इंग्लैंड में खेले गए सभी चार टेस्ट मैचों में बेंच पर बैठे हुए थे। विराट कोहली, रवि शास्त्री और गेंदबाजी कोच भरत अरुण ने टीम में सिर्फ रवींद्र जडेजा को शामिल करने का निर्णय लिया था। भारत ने साउथैम्प्टन में न्यूजीलैंड के खिलाफ विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में मिली हार के बाद शार्दुल ठाकुर को दूसरे ऑलराउंडर के रूप में प्राथमिकता दी है। कोविड 19 से संक्रमित होने के कारण अश्विन टीम के साथ थोड़ी देर से जुड़े। अभ्यास मैच के अंतिम पारी में गेंदबाजी करते हुए उन्होंने दो विकेट भी लिए। पिछले साल इंग्लैंड की पिच काफी हरी थी। यह गेंदबाजों को काफी मदद कर रही थी।
हालांकि इस साल इंग्लैंड और न्यूजीलैंड की सीरीज में जम कर रन बन रहे हैं। इस बार जिन ड्यूक गेंदों का प्रयोग हो रहा है, उससे गेंदबाजों को मदद भी थोड़ी सी कम मिल रही है। साथ ही तीसरे टेस्ट में जैक लीच ने 10 विकेट भी हासिल कए। एजबेस्टन की परिस्थितियां यह तय कर सकती हैं कि अश्विन को मौका मिलेगा या नहीं। अगर वहां की पिच उसी तरह की है, जैसी न्यूजीलैंड के साथ खेली गई तीन टेस्टों में थी तो भारत दो स्पिनरों को टीम में शामिल कर सकता है। अगर पिच पिछले साल की तरह है तब तो भारतीय टीम चार तेज गेंदबाजों के साथ ही पिच पर उतरेगी और ऐसे में अश्विन को टीम से बाहर होना पड़ेगा।
कौन होगा भारत की तीसरा तेज गेंदबाज :
अभ्यास मैच में जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी ने यह दिखा दिया कि वह इस टेस्ट मैच के लिए बिल्कुल तैयार हैं। भारतीय गेंदबाजी क्रम में सिर्फ एक ही प्रश्न बचता है कि टीम का तीसरा तेज गेंदबाज कौन होगा। पिछले साल मोहम्मद सिराज ने इंग्लैंड में चार मैचों में 14 विकेट लिए थे। साथ ही लॉर्ड्स टेस्ट में उन्होंने आठ विकेट हासिल किए थे। ओवल में भारतीय टीम ने उमेश यादव को शामिल किया था। उस मैच में उन्होंने भी कमाल की गेंदबाजी की थी और छह विकेट लिए थे, जिसमें जो रूट का भी विकेट शामिल था। उस वजह से वह अंतिम टेस्ट में शामिल होने के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे, लेकिन वह मैच रद्द हो गया। कुल मिला कर दोनों गेंदबाज एक बार फिर पिच पर उतर कर अपना जलवा बिखेरने के लिए तैयार होंगे।
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