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खेल

विदेशी सरजमीं और बड़े मुकाबलों को जीतने के खोजने होंगे रास्ते

इसमें कोई दो राय नहीं है कि, पुरुष और महिला टीम ने हर तरफ बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन सवालिया निशान तब उठते हैं...

Author : Ankit Dubey

राज एक्सप्रेस। भारतीय पुरुष एवं महिला क्रिकेट टीम का क्रिकेट में वर्चस्व दिन प्रतिदिन बढ़ता ही गया है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पुरुष और महिला टीम ने हर तरफ बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन सवालिया निशान तब उठते हैं जब विदेशी सरजमीं पर और आईसीसी के बड़े मुकाबलों में भारतीय पुरुष और महिला टीम कहीं ना कहीं फीकी नजर आती है। साल 2019 में हुए वनडे विश्वकप की बात की जाए तो सेमीफाइनल तक ताबड़तोड़ प्रदर्शन के बाद सेमी फाइनल में एक छोटे से स्कोर का पीछा कर हार जाना हो या फिर हाल ही में महिला T20 विश्व कप के फाइनल मुकाबले में 85 रनों की करारी शिकस्त।

महिला पुरुष टीम को विदेशी सरजमीं पर और आईसीसी के टूर्नामेंट में बड़े मुकाबलों में जीतने के नए रास्ते खोजने होंगे।

2019 वनडे विश्वकप और न्यूजीलैंड दौरे में भी हुई चूक

भारतीय टीम ने साल 2019 में विश्व कप के सेमीफाइनल मुकाबले तक बेहतरीन प्रदर्शन किया लेकिन सेमीफाइनल के बड़े मुकाबले में टीम मामूली टोटल को भी हासिल ना कर सकी।

महेंद्र सिंह धोनी मुकाबले में रन आउट हुए और भारतीय टीम के हाथ से विश्व कप का सपना टूट गया। विदेशी सरजमीं पर हुए आईसीसी विश्व कप में भारतीय टीम की उम्मीदें बहुत बड़ी थीं। धोनी का यह आखिरी विश्वकप था। जीत की आस सभी को थी, लेकिन यह मुकाबला भारतीय टीम हार गई। इतने बड़े मुकाबले में सभी को दबाव होना लाजमी है, लेकिन जिस तरह बल्लेबाज आउट हुए उन्हें बड़े मुकाबलों में दबाव झेलने की क्षमता को बढ़ाना होगा। भारतीय क्रिकेट टीम को हमेशा आईसीसी के बड़े मुकाबलों में जीतने के लिए ऑस्ट्रेलिया से सीख लेनी चाहिए। ऑस्ट्रेलिआई हमेशा आईसीसी के बड़े मुकाबलों में जीत हासिल कर इतिहास रचते हैं।

न्यूजीलैंड दौरा भी कुछ यूं ही रहा

2020 का न्यूजीलैंड दौरा भी कुछ यूं ही रहा, शुरुआती T20 में 5-0 की फतह पाकर, भारतीय टीम के इरादे बुलंद हो गए थे, लेकिन वनडे और टेस्ट में फिसड्डी साबित हुई भारतीय टीम। वनडे में 0-3 से हार मिली, वहीं टेस्ट में 0-2 से हार मिली, इन बड़े मुकाबलों में भारतीय टीम के पास क्षमता तो बहुत थी, लेकिन कहीं ना कहीं विदेशी सरजमीं पर अपना सिक्का जमाने में फिर भी नाकाम रही। इस तरह के प्रदर्शन के बाद लगता है कि विदेशी सरजमीं पर भारतीय बल्लेबाजों को ज्यादा अभ्यास की जरूरत है, तभी वह बड़े मुकाबलों में विदेशी सरजमीं पर अपना सर्वश्रेष्ठ दे पाएंगे।

महिला टीम ने भी साल 2017 और फिलहाल 2020 में गंवाया विश्व कप

भारतीय महिला टीम ने भी अपना ताबड़तोड़ प्रदर्शन हर टीम के खिलाफ जारी रखा और साबित किया कि, वह दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीम है, लेकिन जब हम आईसीसी के बड़े मुकाबलों की बात करें तो वहां भारतीय महिलाएं दबाव में रही, साल 2017 में इंग्लैंड में हुए वनडे विश्व कप में भारतीय टीम फाइनल तक पहुंची और हार का सामना करना पड़ा, फिर 2018 में T20 विश्व कप सेमीफाइनल में भी हारी और बाहर हुई। साथ ही हाल ही में हुए 2020 T20 विश्व कप में भी भारतीय टीम फाइनल तक पहुंची, लगातार जीत हासिल कर एक भी मैच नहीं हारा, लेकिन फाइनल मुकाबला बुरी तरह हार कर बड़े मुकाबले में दबाव झेला।

इस तरह के बड़े मुकाबलों में किस तरह जीता जाता है, यह लय भारतीय पुरुष और महिला टीम को बड़े मुकाबले जीतकर पानी होगी। भारतीय पुरुष टीम हो या महिला टीम विदेशी सरजमीं पर और आईसीसी के बड़े मुकाबलों में दोनों ही टीमों ने दिखाया कि, कहीं ना कहीं वह दबाव झेलने में नाकामयाब साबित हुई। भारतीय पुरुष-महिला टीम को दबाव झेलने की क्षमता को बढ़ाना होगा। विदेशी सरजमीं पर ज्यादा अभ्यास करना होगा और अपनी फिटनेस पर ध्यान देना होगा, ताकि वह आने वाले भविष्य में आईसीसी के बड़े मुकाबले हो या फिर विदेशी सरजमीं यह दिखा सके कि, हम दुनिया भर में किसी से कम नहीं।

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