केप टाउन। सीरीज में 0-2 से पिछड़कर श्रंखला पहले ही गंवा चुकी भारतीय क्रिकेट टीम रविवार को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ होने वाले तीसरे और अंतिम वनडे में क्लीन स्वीप से बचने के लक्ष्य के साथ उतरेगी। भारत ने इस दौरे में अच्छी शुरुआत करते हुए पहला टेस्ट जीता था लेकिन उसके बाद उसने लगाकर चार मैच गंवाए हैं और टेस्ट तथा वनडे सीरीज दोनों गंवा दी है। भारतीय कप्तान लोकेश राहुल का मानना है कि टीम ने गलतियां की और उसे उसका खामियाजा भुगतना पड़ा है।
भारत की गेंदबाजी उसकी बड़ी समस्या बानी हुई है। नई गेंद से तेज गेंदबाज विकेट नहीं निकाल पा रहे हैं जबकि मध्य ओवरों में स्पिनर भी कोई प्रभाव नहीं छोड़ पा रहे हैं। जसप्रीत बुमराह टेस्ट क्रिकेट और सीमित ओवर दोनों के एक विश्वस्तरीय गेंदबाज हैं। हालांकि पिछले दो सालों से वनडे क्रिकेट में नई गेंद के साथ उनका पैनापन थोड़ा कम दिखा है। 2019 विश्वकप के बाद 11 पारियों में पावरप्ले के 43 ओवरों में उन्होंने केवल एक विकेट लिया है। भुवनेश्वर कुमार का भी रिकॉर्ड इस दौरान कुछ खास नहीं रहा है - पावरप्ले में उन्होंने 41 ओवर फेंके हैं और उनके नाम हैं सिर्फ तीन विकेट है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि पहले 10 ओवरों में गेंदबाजी करते हुए भारत क्यों सबसे कमजोर टीम रही है।
पिछले वनडे विश्वकप के बाद भारत ने कुल 23 वनडे मुकाबलों में केवल 10 पावरप्ले विकेट झटके हैं। इस दौरान उनकी इकॉनमी रेट (5.74) किसी भी टीम की तुलना में सबसे अधिक है और 132.10 का औसत तो अगले नंबर पर आने वाले जिम्बाब्वे (63.45) से दोहरे से भी अधिक है। तुलना करें तो भारत के विरुद्ध टीमों का पहले 10 ओवरों का रिकॉर्ड 22 पारियों में 53 के औसत और 5.78 की इकॉनमी से 24 विकेट का है। भारत ने जो भी कोशिश की वह काम नहीं आई क्योंकि पार्ल में दूसरे वनडे के दौरान फिर से नई गेंद से भारत को परेशानी हुई।
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