राज एक्सप्रेस। भारतीय क्रिकेट टीम को बड़ी ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले दक्षिण अफ्रीकी कोच गैरी किर्स्टन (Gary Kirsten) ने बताया कि किस तरह वह भारतीय टीम के कोच जल्दी बन गए थे। कोचिंग के कम अनुभव के बाद भी उन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया था और उन्होंने बताया कि वह इसके लिए बिल्कुल भी इच्छुक नहीं थे, लेकिन फिर भी उन्होंने भारतीय क्रिकेट के दो दिग्गजों के कहने पर इस पद के लिए हामी भरी थी।
गैरी किर्स्टन (Gary Kirsten) ने बताया कि वह केवल 7 मिनटों में भारतीय क्रिकेट टीम के कोच बन गए थे। दरअसल भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज सुनील गावस्कर उस वक्त सिलेक्शन पैनल का हिस्सा थे। गावस्कर द्वारा ही क्रिस्टियन को मेल भेजा गया था और इस पद के लिए आमंत्रण दिया गया था, लेकिन गैरी किर्स्टन ने इस को गंभीरता से नहीं लिया था।
कोचिंग के कम अनुभव के बाद भी बने कोच
गैरी किर्स्टन (Gary Kirsten) ने बताया कि सुनील गावस्कर के मेल का जवाब नहीं देने के बाद मैंने अपनी पत्नी से सलाह मशवरा किया था। उन्होंने बताया कि मुझे कोचिंग का बिल्कुल भी अनुभव नहीं था और वह इस पद के लिए इच्छुक भी नहीं थे। किर्स्टन ने आगे बताया कि जब वह साक्षात्कार के लिए भारत आए तो उन्हें उस समय के कप्तान अनिल कुंबले से मिलने का मौका मिला, उस समय काफी हंसी मजाक का माहौल बना। उनके मुताबिक वह साक्षात्कार उनके लिए बड़ा अजीबोगरीब था।
गैरी किर्स्टन (Gary Kirsten) भारतीय क्रिकेट टीम के लिए काफी सफल कोच साबित हुए। उन्होंने भारतीय टीम को कोचिंग देते हुए भारत को टेस्ट में नंबर एक बनाया, भारतीय टीम के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि उनकी कोचिंग में भारतीय टीम ने 2011 वर्ल्ड कप भी जीता था।
बीसीसीआई के अधिकारियों ने किया सवाल
साक्षात्कार के दौरान का किस्सा बताते हुए गैरी किर्स्टन (Gary Kirsten) ने कहा कि मैं बीसीसीआई के अधिकारियों के सामने था और माहौल गंभीर था। बोर्ड के सचिव ने कहा कि मिस्टर किर्स्टन क्या आप भारतीय क्रिकेट के भविष्य को लेकर अपना दृष्टिकोण पेश करेंगे। मैंने कहा मेरे पास कोई प्लान नहीं है, किसी ने अभी मुझसे इस तरह की तैयारी करने के लिए नहीं कहा था, मैं अभी यहां पहुंचा हूं।
गैरी किर्स्टन (Gary Kirsten) ने आगे बताया कि फिर रवि शास्त्री ने मुझसे कहा कि हमें यह बताइए कि दक्षिण अफ्रीका टीम के रूप में भारतीयों को हराने के लिए आप क्या करते थे, मुझे लगा कि माहौल हल्का करने के लिए यह बहुत अच्छा मौका था, क्योंकि मैं इसका उत्तर दे सकता था और मैंने 2 से 3 मिनट में इसका जवाब दिया। मगर मैंने ऐसी रणनीति का जिक्र नहीं किया जो हम उस समय उपयोग किया करते थे।
7 मिनट में हो गया चयन
बोर्ड के अधिकारी मुझसे काफी प्रभावित थे, उसके दो-तीन मिनट बाद सचिव ने मेरे पास अनुबंध पत्र दे दिया। मेरे साक्षात्कार केवल 7 मिनट तक चला था। गैरी किर्स्टन (Gary Kirsten) ने कहा कि उन्हें जो अनुबंध दिया गया, उसमें ग्रेग चैपल का नाम था। यह देखने के बाद मैंने उसे वापस किया और बोला कि इसमें पूर्व कोच का नाम है, तब बोर्ड के अधिकारी ने जेब से पैन निकालकर उस पर मेरा नाम लिख दिया।
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