हाइलाइट्स –
जब मुल्तान के सुल्तान को मिली सजा!
अंपायरों को भी था अपने फैसले पर अफसोस
वो फैसला जो बन चुका ICC हिस्ट्री बुक का हिस्सा
राज एक्सप्रेस। कभी तूफानी बल्लेबाजी से ऑस्ट्रेलिया से लेकर पाकिस्तान तक में धूम मचाने वाले मुल्तान के सुल्तान सहवाग अब सफल क्रिकेट खेल विश्लेषक, कमेंटेटर की अपनी दूसरी पारी के साथ ट्विटर संसार में भी धाकड़ पहचान रखते हैं। लेकिन बात करते हैं उनके एक ऐसे पुराने रिकॉर्ड की जो मील का पत्थर बन चुका है।
रिकॉर्ड इसलिए खास –
क्रिकेट खेल की असल चाबी होती है अंपायर के पास। टॉस से लेकर, बल्लेबाज-गेंदबाज की किस्मत का फैसला भी मैदान में उसके ही (दोनों अंपायरों) हवाले होता है।
इतिहास है रिकॉर्ड –
दरअसल सहवाग के रिकॉर्ड का मामला अंपायर के फैसले से ही जुड़ा है। ऐतिहासिक इसलिए क्योंकि अंपायरों के फैसले के खिलाफ अब मैदान में खेल रहे खिलाड़ी भी अपील कर सकते थे।
इसलिए बना इतिहास –
बात हो रही है अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम (Umpire Decision Review System-UDRS-यूडीआरएस) यानी अंपायर निर्णय समीक्षा प्रणाली की।
इसे और अधिक संक्षिप्त रूप में डीआरएस (DRS) यानी डिसीजन रिव्यू सिस्टम अर्थात निर्णय समीक्षा प्रणाली भी कहा जाता है। जब इस प्रणाली को पहली बार अंतर राष्ट्रीय स्तर के मैच में लागू किया गया तो तकनीक आधारित पहला फैसला ही सहवाग के इतिहास से भी जुड़ गया।
इस मैच की बात –
वाकया जुलाई 2008 में श्रीलंका और भारत के बीच खेली गई टेस्ट श्रृंखला में DRS का परीक्षण करने हेतु लिए गए निर्णय से जुड़ा है। दरअसल वीरू पाजी को मैदानी अंपायर ने आउट करार दिया था।
ऐसे इतिहास में दर्ज -
भारतीय धाकड़ बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग इंटरनेशनल क्रिकेट की परीक्षण सीरीज में DRS के जरिए आउट दिए जाने वाले पहले क्रिकेटर हैं। यह इतिहास बना था 23 जुलाई 2008 को कोलंबो में भारत और श्रीलंका के बीच खेले गए डीआरएस ट्रायल सबंधी पहले टेस्ट मैच में।
पहली बार लागू की गई प्रणाली में सहवाग ऐसे बल्लेबाज बन गए जिनको थर्ड अंपायर ने आउट करार दिया। तकनीक आधारित इस फैसले पर बाद में तमाम सवाल भी उठे।
क्या था मामला -
श्रीलंका के लेग स्पिनर मुथैया मुरलीधरन की एलबीडब्ल्यू की अपील को अंपायर मार्क बेंसन ने ठुकरा दिया था। श्रीलंका टीम ने फैसले के खिलाफ रिव्यू लिया।
डीआरएस में बॉल ट्रेकिंग डिवाइस गेंद और बल्ले के टकराने के पल को पकड़ नहीं पाई। तमाम नये नियमों के आधार पर थर्ड अंपायर बेंसन को अपने फैसले को बदलने पर मजबूर होना पड़ा और सहवाग को शॉट नहीं खेलने के कारण आउट करार दे दिया गया।
तकनीक चिंता का विषय -
प्रायोगिक टेस्ट सीरीज में कई अवसरों पर तकनीक फैसलों को परखने में नाकाम रही। थर्ड अंपायर रूडी कोएर्त्जन भी सहवाग को आउट करार देने के कारण खेल प्रशंसकों के निशाने पर आ गए।
जरूरत क्यों पड़ी -
दरअसल क्रिकेट में डीआरएस लागू करने की वजह बना भारत का 2007-08 का ऑस्ट्रेलिया का दौरा। यहां सिडनी टेस्ट में मेहमान भारत के खिलाफ लगभग 11 फैसले विवादित रहे।
मेहमान टीम ने मेजबान ऑस्ट्रेलिया पर खेल की भावना न रखने के गंभीर आरोप लगाए। अंपायर भी होस्ट ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में फैसले देने के कारण शक के घेरे में थे।
भारत के मुखर विरोध के चलते कार्यवाहक अंपायर स्टीव बकनर ने संन्यास ले लिया। इस घटना के बाद इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (International Cricket Council,ICC) यानी अंतर राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने DRS लागू किया। विस्तार से पढ़ने शीर्षक ऑस्ट्रेलिया दौरे पर ICC ने भारत के साथ ऐसे कर दिया खेल पर क्लिक करें।
साल 2008 में परीक्षण –
DRS या डिसीजन रिव्यू सिस्टम साल 2008 में ICC ने उन फैसलों की समीक्षा करने के उद्देश्य से शुरू किया, जो किसी बल्लेबाज को गलत तरीके से आउट करने या न करने के ऑन-फील्ड अंपायरों के मामले में अनिर्णायक लगते हैं।
भारत-श्रीलंका में प्रयोग -
सिस्टम का परीक्षण पहली बार साल 2008 में भारत बनाम श्रीलंका मैच में किया गया। फिर डुनेडिन में न्यूजीलैंड और पाकिस्तान के बीच पहले टेस्ट मैच के दौरान 24 नवंबर 2009 को आधिकारिक तौर पर यह लागू हुआ।
सहमति/असहमति -
सिस्टम शुरुआत में सभी अंतर राष्ट्रीय मैचों में अनिवार्य तो हुआ, लेकिन बाद में आईसीसी ने अपना रुख बदल दिया और यह कहते हुए इसे वैकल्पिक बना दिया कि अगर दोनों टीम सहमत हों तो ही सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। संस्पेरेल्स ग्रीनलैंड्स बॉल, एसजी बॉल, ड्यूक बॉल के बारे में अधिक पढ़ने के लिए शीर्षक को स्पर्श/क्लिक करें – TOUR AUS:भारत का सामना उस ऑस्ट्रेलियाई अचूक अस्त्र से जिसमें कुशल है मेजबान
सचिन तेंदुलकर, युवराज सिंह से लेकर तमाम लोगों को ट्विटर पर निशाने पर रखने वाले सहवाग अपने इस रिकॉर्ड को शायद ही याद रखना चाहें। क्या कहना है आपका?
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डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स और जारी क्रिकेट आंकड़ों पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।
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