अल अमीरात। पापुआ न्यू गिनी के खिलाफ एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच में एक ओवर में छह छक्के लगाकर हर्शल गिब्स, युवराज सिंह, कीरोन पोलार्ड जैसे क्रिकेटरों की बराबरी करने वाले भारतीय मूल के अमेरिकी क्रिकेटर जसकरण मल्होत्रा अपने फ़ोन पर लगभग 4000 से 5000 व्हाट्सएप मैसेजों का अब तक जवाब नहीं दे पाए हैं। जिन खिलाडियों के मैसेज उन्होंने पढ़े उनमे पोलार्ड भी शामिल हैं, जिन्होंने उन्हें अपने कीर्तिमान की बराबरी करने पर बधाई दी। जसकरण सीपीएल 2018 में पोलार्ड की कप्तानी में सेंट लूसिया स्टार्स का हिस्सा थे, जहां उनकी टीम में डेविड वॉर्नर और डैरेन सैमी जैसे दिग्गज भी मौजूद थे।
ठीक इन खिलाड़ियों की तरह जसकरण भी अब इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में खेलना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी साफ़ किया कि उन्हें अमेरिकी क्रिकेट का हिस्सा बनकर गर्व और खुशी है, जो कि एक एसोसिएट दश के रूप में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में लगातार आगे बढ़ रहा है।
ईएसपीएन क्रिक इंफ़ो से बातचीत में जसकरण ने कहा, यह मेरे लिए अछ्वुत पल था। मैं ऐसा कुछ सोचकर मैदान पर नहीं गया था। मैं जब मैदान पर उतरा तो मेरी टीम 10 ओवर के भीतर ही 29 रन पर तीन विकेट गंवा कर संघर्ष कर रही थी। इसलिए पारी के अंत तक खेलना ही मेरा पहला लक्ष्य था। लेकिन जैसे-जैसे धीरे-धीरे पारी आगे बढ़ती गई, वैसे-वैसे मैं अपने हाथ खोलते चला गया। अंतिम ओवर में जब चार छक्के लग गए तो फिर लगा कि अब छह छक्के भी लग ही जाएंगे। मैं ऊपर वाले का शुक्रगुजार हूं कि मैं इतना बड़ा रिकॉर्ड अपने नाम कर पाया।
भारत से अमेरिका जाने के सवाल पर जसकरण ने कहा, मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं भारत के अलावा किसी और देश के लिए क्रिकेट खेलूंगा। भारत के लिए ही क्रिकेट खेलना मेरा सपना था। मैंने जूनियर स्तर पर क्रिकेट भारत में ही खेला है। अंडर-15, अंडर-17 में मैं हिमाचल प्रदेश का कप्तान था और अंडर-17 में राष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक रन बनाने वाले विकेटकीपर बल्लेबाजो में से था। इसी प्रदर्शन की बदौलत मुझे 2007-08 में अंडर-19 टीम के शीर्ष 20 खिलाडियों में जगह मिली और मैं नेशनल क्रिकेट एकेडमी (एनसीए) में ट्रेनिंग के लिए गए। हालांकि मैं विराट कोहली की अगुवाई वाली अंडर-19 विश्व कप, 2008 के लिए जाने वाली अंतिम 16 खिलाड़ियों में जगह नहीं बना पाया।
इसके बाद जसकरण हिमाचल प्रदेश की रणजी टीम का हिस्सा तो रहे, लेकिन उन्हें कभी प्रथम श्रेणी मैच खेलने का मौक़ा नहीं मिला। 2010 में घरेलू क्रिकेट सीजन के बाद वह पहली बार अपने एक रिश्तेदार के वहां अमेरिका गए और एक घरेलू टूर्नामेंट में भाग लिया, जहां पर उन्होंने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। इसके बाद उन्हें लगातार अमेरिका में क्रिकेट खेलने का आमंत्रण मिलने लगा। वह हर साल भारत से क्रिकेट खेलने के लिए अमेरिका जाते थे। इधर भारत के घरेलू सर्किट में उनके उच्च स्तर पर चुने जाने की संभावना धीरे-धीरे कम होने लगी। 2014 में उन्होंने अन्तत: निर्णय लिया कि वह अब स्थायी रूप से बसकर ही अमेरिका में क्रिकेट खेलेंगे।
जसकरण ने बताया कि अब उनके परिवार को कोई भी कऱीबी सदस्य भारत में नहीं है और सब अमेरिका में बस गए हैं। उनकी पत्नी भी अमेरिका से हैं। जसकरण अब अपने करियर से बहुत खुश हैं। कहते हैं, भारत के लिए क्रिकेट खेलने का सपना तो पूरा नहीं हो सका, लेकिन खुशी है कि मैं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी देश (अमेरिका) का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं। अब अमेरिका ही मेरे लिए सब कुछ है।
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