खालिस्तान आंदोलन क्या है Syed Dabeer Hussain - RE
राज ख़ास

जानिए खालिस्तान आंदोलन क्या है? कब हुई थी खालिस्तान आंदोलन की शुरुआत?

खालिस्तान का मतलब होता है The Land Of Khalsa यानी खालसा की सरज़मीन। साधारण भाषा में समझे तो खालिस्तान से मतलब सिखों के लिए एक अलग राष्ट्र से हैं।

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। बीते दिनों पंजाब पुलिस ने खालिस्तान समर्थक संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस ने अमृतपाल सिंह के चाचा और ड्राईवर सहित उसके 114 समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं अमृतपाल की भी लगातार तलाश जारी है। दूसरी तरफ अमृतपाल पर हुई कार्रवाई के विरोध में ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग के बाहर खालिस्तानी समर्थकों ने प्रदर्शन किया। वहीं इस पूरे मामले में जांच एजेंसियों का कहना है कि अमृतपाल सिंह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से भारत में अपना नेटवर्क चला रहा है। आईएसआई वापस से भारत में खालिस्तान आंदोलन को जिंदा करना चाहती है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर यह खालिस्तान आंदोलन क्या है।

खालिस्तान का मतलब :

दरअसल खालिस्तान का मतलब होता है The Land Of Khalsa यानि खालसा की सरज़मीन। साधारण भाषा में समझें तो खालिस्तान से मतलब सिखों के लिए एक अलग राष्ट्र से है। कहा जाता है कि साल 1940 में पहली बार ‘खालिस्तान’ शब्द का जिक्र हुआ था।

खालिस्तान आंदोलन की शुरुआत :

साल 1929 में मोतीलाल नेहरू के पूर्ण स्वराज की मांग पर शिरोमणि अकाली दल के तारा सिंह ने सिखों के लिए अलग देश बनाने की मांग की थी। भारत की आजादी के समय जब अलग देश की मांग नहीं मानी गई तो भारत में ही सिखों के लिए एक अलग राज्य बनाने की मांग होने लगी। साल 1966 में इंदिरा गांधी ने इस मांग को मानते हुए पंजाब को तीन हिस्सों में बांटते हुए पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ राज्य बना दिए। इसके बाद सालों तक पंजाब को ज्यादा अधिकार देने की मांग होती रही।

भिंडरावाला की एंट्री :

80 के दशक में पंजाब में खालिस्तान आंदोलन ने एक बार फिर से जोर पकड़ा। ‘दमदमी टकसाल’ का जरनैल सिंह भिंडरावाला लगातार खालिस्तान आंदोलन को हवा दे रहा था। इस बीच साल 1983 में खालिस्तान समर्थकों ने स्वर्ण मंदिर परिसर में पंजाब के डीआईजी अटवाल की हत्या कर दी। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया और स्वर्ण मंदिर में छिपे भिंडरावाला का खत्मा कर दिया। हालांकि स्वर्ण मंदिर में हुए खून-खराबे के चलते सिख समुदाय के मन में इंदिरा गांधी के प्रति गुस्सा भर गया। यही कारण है कि आगे चलकर इंदिरा गांधी की उन्हीं के दो सिख सुरक्षाकर्मियों ने हत्या कर दी।

फिर सिर उठा रहा खालिस्तान आंदोलन :

भिंडरावाला के खात्मे के बाद भी पंजाब में कुछ साल खालिस्तान आंदोलन की मांग उठती रही। भिंडरावाला के समर्थकों ने एयर इंडिया के विमान में विस्फोट, पूर्व थलसेनाध्यक्ष जनरल एएस वैद्य और पंजाब के तत्कालीन सीएम बेअंत सिंह की हत्या जैसी वारदातों को अंजाम भी दिया। लेकिन समय के साथ-साथ यह आंदोलन पंजाब में लगभग खत्म हो गया था। हालांकि इन दिनों यह आंदोलन फिर से पंजाब में सिर उठाता नजर आ रहा है।

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