यह तो तय है कि पुलवामा में आतंकी हमला पाकिस्तान में बैठे आतंकियों द्वारा किया गया। यह भी तय है कि आतंक की साजिश और फंडिंग भी सीमा पार से रची गई। मगर अब जिस तरह से एनआईए(NIA) द्वारा दायर की गई चार्जशीट में नए-नए खुलासे हो रहे हैं, वह बता रहे हैं कि आतंकी हमले को लेकर किस तरह की तैयारी की गई थी। चार्जशीट के बाद पता चला कि आतंकियों को हमले की ट्रेनिंग तालिबान से दिलाई गई थी। अब सामने आया है कि हमले को अंजाम देने के लिए आतंकी गुट जैश-ए-मोहमद के सरगना मसूद अजहर के भतीजे मोहमद उमर फारूक के पाकिस्तान स्थित बैंक खाते में 10 लाख डाले गए थे। 14 फरवरी 2019 को हुए हमले में सीआरपीएफ(CRPF) के 40 जवान शहीद हो गए थे। एनआईए ने यह खुलासा अपनी चार्जशीट में किया है। एनआईए की जांच से पता चला कि आत्मघाती हमला मामले के मुख्य आरोपी फारूक के तीन खातों में 10 लाख पाकिस्तानी रुपए डाले गए थे।
आतंकियों ने करीब छह लाख रुपए विस्फोटक और मारुति इको कार की खरीद में खर्च किए। इस कार और विस्फोटक का इस्तेमाल धमाके में किया गया था। 2.80 लाख का इस्तेमाल अमोनियम नाइट्रेट समेत 200 किलोग्राम विस्फोटक की खरीद में किया गया। सीआरपीएफ(CRPF) काफिले को उड़ाने के लिए इतने विस्फोटक का उपयोग किया गया था। आरडीएस पाक से लाया गया था जबकि मुदसिर अहमद ने जिलेटिन की छड़े खरीदी, वजी उल इस्लाम ने अमेजन से चार किलोग्राम एल्यूमिनियम पाउडर और कैल्सियम अमोनियम नाइट्रेट की खरीद की। इको कार में दो कंटेनरों में आईईडी फिट की गई। इन दोनों कंटेनरों का वजन 160 किलो था जबकि 40 किलोग्राम का इस्तेमाल धमाका करने में किया गया। पिछले साल 14 फरवरी को जब पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे, तभी से भारत इसमें पाक स्थित आतंकवादी संगठनों का हाथ बताता रहा है। लेकिन जब भारत की ओर से इस तरह के सवाल उठाए गए, पाक ने रटे-रटाए तरीके से आरोपों से इंकार कर दिया।
अब करीब डेढ़ साल बाद एनआइए(NIA) यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने पुलवामा हमले के मामले में जो आरोप-पत्र दाखिल किया है, उससे साफ है कि घटना में पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई और वहां स्थित आतंकी संगठन किस रूप में शामिल थे। आरोप-पत्र के मुताबिक आईएसआई ने जहां पाकिस्तानी संस्थाओं के जरिए आतंकियों को भारतीय सीमा में घुसपैठ करने में मदद की थी, वहीं जैश के सरगना मसूद अजहर ने अपने भतीजे को साजिश रचने के लिए भारत भेजा था। एनआईए ने जिन अन्य कई बातों को आरोप-पत्र में दर्ज किया है, उससे यही जाहिर होता है कि इस हमले की साजिश का सिरा सीधे पाकिस्तानी ठिकानों से काम करने वाले आतंकी संगठनों और उनके संरक्षकों से जुड़ा है। अब जरूरी यह है कि जिम्मेदारों को उनके किए की सजा दी जाए।
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