हाइलाइट्स :
कफ सिरप से लेकर एमडीएमए तक, मप्र के युवाओं की पहली पंसद
2021 में ड्रग्स की आवक बढ़ी, 60669 नग बरामद
नॉरकोटिक्स विंग ने छह माह में सिर्फ सिंथेटिक ड्रग्स के 142 प्रकारण किए दर्ज
भोपाल, मध्यप्रदेश। सिंथेटिक ड्रग्स युवाओं की पहली पंसद बना हुआ है। युवाओं की सिंथेटिक ड्रग्स की पंसद युवा प्रदेश को वक्त से पहले ही बूढ़ा कर देगा। इस समय प्रदेश में अन्य ड्रग्स की तुलना में सिंथेटिक (केमिकल ड्रग्स) की बड़ी खेप पहुंच रही है। नॉरकोटिक्स विंग ने छह माह में सिर्फ केमिकल ड्रग्स के 142 प्रकारण दर्ज कर 60,669 नग केमिकल ड्रग्स बरामद की है, जिसमें एमडीएम की मात्रा अधिक है। जनवरी से जून 2021 तक प्रदेश में एनडीपीसीएस एक्ट के तहत कुल 1,734 प्रकरण दर्ज हुए जिनमें 2,303 तस्करों को पकड़ा गया।
मप्र में कुल आबादी में से लगभग 22 फीसदी युवा हैं, यह संख्या अन्य प्रदेशों की तुलना में अधिक है। प्रदेश के युवा होने की वजह से ही कई मामलों में प्रदेश अव्वल आता रहा है, लेकिन बीते सालों में मप्र का युवा ड्रग्स के चुंगल में फंसता जा रहा है। नेचुरल ड्रग्स की तुलना में सिंथेटिक (केमिकल ड्रग्स) स्वास्थ्य के लिए अधिक घातक होता है। इस जानलेवा खतरे से अंजान युवा कैमिकल ड्रग्स का नशा कर रहे हैं। सबसे अधिक सिंथेटिक ड्रग्स की खपत प्रदेश के बड़े शहरों में स्थित पब में हो रही है। पब में होने वाली रईस युवाओं की नाइट पार्टी में सिंथेटिक ड्रग्स की डिमांड होती है। इनके अलावा मजदूर तबका कफ सिरप को नशा के तौर पर एक दिन में कई बोटल गटक रहा है, जिससे उनके लीवर पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। कचरा बीनने वाले बच्चे भी इस ड्रग्स की गिरफ्त में फंसे हुए हैं।
तीन वर्ष में दर्ज प्रकरण एक नज़र में :
2019 में 3474 प्रकरण दर्ज हुए जिसमे 132365.354 ड्रग्स जब्त हुई।
2021 में 1734 प्रकरण दर्ज हुए जिसमे 60669.026 ड्रग्स जब्त हुई।
2020 में 3066 प्रकरण दर्ज हुए जिसमे 406493.807 ड्रग्स जब्त हुई।
तीन तरह के ड्रग्स :
प्राकृतिक : ये ड्रग्स प्राकृतिक स्रोतों जैसे पौधों से प्राप्त की जाती हैं,जैसे अफीम, डोडा चूरा, गांजा, भांग, चरस।
सेमी सिंथेटिक : इस ड्रग्स का निर्माण प्राकृतिक दवाओं को रसायनों आदि के साथ संसाधित करके किया जाता है, जैसे हेरोइन, कोकीन, ब्राउन शुगर।
सिंथेटिक : ये पूरी तरह (केमिकल) सिंथेटिक पदार्थों से निर्मित ड्रग्स हैं। उदाहरण के लिए मैंड्रेक्स, डिजापम, बार्बिटुरेट्स, एटीएस,एमडी।
कुछ साल का मजा फिर जिंदगी नर्क :
किसी भी प्रकार का नशा मनुष्य की जिंदगी को नर्क की तरफ ले जाता है। कुछ साल बाद नाशा करने वाले जिंदा लाश हो जाते हैं। (केमिकल) सिंथेटिक ड्रग्स यह काम बहुत तेजी से करता है। यह ड्रग्स केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। सिंथेटिक ड्रग्स का नाशा करने पर स्वाभव में बहुत तेजी और अधिक परिवर्तन,अलग-अलग भावनात्मक परिवर्तन, कई प्रकार की विकृतिया धीरे-धीरे स्थाई हो जाती है। शरीर के बल का नाश होकर वक्त से पहले ही बूढ़ा बना देता है।
इनका कहना है :
प्रकरण और पकड़ी गई खेप के अनुसार बीते सालों में प्रदेश में (केमिकल) सिंथेटिक ड्रग्स का चलन युवाओं में बढ़ रहा है। नॉरकोटिक्स विंग ने स्थानीय पुलिस के माध्यम ने कई आरोपियों को माल सहित पकड़ा है। नशा के मामले में मेरा मानना है कि नशा अपराध की जड़ है, केवल कानून बनाकर नशा मुक्ति नहीं हो सकती है। सबको धीरे-धीरे संकल्पबद्ध होना होगा, तभी मध्यप्रदेश पूरी तरह नशा मुक्त होगा।जीजी पांडे आईजीपी, नॉरकोटिक्स विंग मप्र
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