भारतीय रेलवे। भारत में रेलवे की शुरुआत करीब 187 साल पहले सन 1836 में अंग्रेजो द्वारा की गई थी। उन्होंने मद्रास (Chennai) में रेड हिल्स से चिंताद्रीपेट पुल (Red Hills to Chintadripet) तक पहली मालगाड़ी चलाई थी। वहीं, भारत की सबसे पहली पैसेंजर ट्रेन मुंबई में 16 अप्रैल 1853 में बोरीबंदर से ठाणे (Bori Bunder to Thane) के लिए चली थी। 1836-2023 तक भारतीय रेलवे का इतिहास स्वर्णिम रहा है, जहां आज दुनिया के सबसे लंबे रेल नेटवर्क में हमारा स्थान चौथा है। बहरहाल, भारत के रेल नेटवर्क में कुछ ऐसे रेल मार्ग शामिल है जहां से ट्रेनें, सुंदर एवं ऊंची पहाड़ियों, मधुर आवाज वाले झरनों और स्वर्ग रूपी जंगलों से गुजरती है। चलिए आपको बताते है कुछ ऐसे ही विभिन्न रेल मार्ग के बारे में जिन्हें देखकर आप दंग रह जायेंगे।
भारत के मरुस्थल राज्य राजस्थान (Rajasthan) में एक ऐसा रेल मार्ग है जो थार रेगिस्तान (Thar Desert) में जोधपुर से जैसलमेर (Jodhpur to Jaisalmer) तक जाता है। यह रेल मार्ग, उस रूढ़िवादी और बेतुकी सोच के खिलाफ लड़ती है जिसका मानना है कि रेगिस्तान सिर्फ बंजर भूमि है। डेजर्ट क्वीन यानि रेगिस्तान की रानी कहलाए जाने वाला यह रेल मार्ग रेत के टीलों, मरुस्थली वन्य जीवन, जनजातियों, सूखे जंगल और राजस्थान के थार रेगिस्तान की बंजर भूमि की सुंदरता प्रदान करता है। भारतीय रेलवे आपको रेगिस्तान की सफारी का अनुभव करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है। उन्होंने डेजर्ट क्वीन के नाम से जानी जाने वाली एक ट्रेन साल 2000 में शुरू की थी जो रेगिस्तान की सफारी कराती है। डेजर्ट क्वीन जैसलमेर और जोधपुर के बीच चलती है और यात्रा का समय लगभग 6 घंटे है।
विवेक एक्सप्रेस रेल मार्ग भारत का सबसे लंबा रेल मार्ग माना जाता है । यह रेल मार्ग असम के डिब्रूगढ़ से शुरू होकर तमिलनाडु के कन्याकुमारी (Assam's Dibrugarh to Tamil Nadu's Kanyakumari) तक जाता है। इस रेल मार्ग का नाम विवेक इस लिए है क्योंकि इसमें विवेक एक्सप्रेस नामकी एक ही ट्रेन चलती है जो की स्वामी विवेकानंद के 150वीं जयंती (Swami Vivekananda's 150th Birth Anniversary) पर साल 2011 में शुरू की गयी थी । यह रेल मार्ग 4200 KM का जिसमे यात्री लगभग साढ़े 3 दिनों तक असम से लेकर तमिलनाडु तक 9 राज्यों की सुंदरता को देखते हुए जाते है। यह रेल मार्ग असम,बिहार,नागालैंड, पश्चिम बंगाल, झारखंड,ओडिशा, आंध्रप्रदेश, केरला और तमिलनाडु राज्य से गुजरता है। यह रेल मार्ग दुनिया का 22वां सबसे लंबा रेलमार्ग भी माना जाता है । इसमें यात्रियों को असम के हरभरे जंगलों से लेकर नागालैंड के आद्रभूमि और केरला के सुंदर और खुशनुमा मौसम वाली भूमि तिरुवनंतपुरम से लेकर भारत के अंतिम छोर कन्याकुमारी तक के सफर का आनंद मिलता है।
भगवान् का अपना देश (God's Own Country) यानि केरल के प्राचीन तटरेखाओं (Coastlines) पर एक सुंदर रेल मार्ग है जो कोल्लम के माध्यम से एर्नाकुलम से त्रिवेंद्रम (Ernakulam to Trivandrum) तक जाता है। करीब 250 KM का यह रास्ता यात्रियों के लिए सुन्दर और विस्मयकारी दृश्य का आनंद प्रदान करता है।यह मार्ग शांत झीलों के माध्यम से यात्रियों को ग्रामीण केरल के मौन आकर्षण का अनुभव कराती है। इस रेल मार्ग पर चलते हुए ट्रेनें ,लहराते ताड़ के पेड़ों को छूते हुए निकलती है । यही नहीं, हरे-भरे धान के खेतों में काम कर रहे स्थानीय लोगों और झिलमिलाते बैकवाटर की आश्चर्यजनक सुंदरता मानो यात्रियों के लिए अपनी आंखों को दावत देने के समान होता है।
यह मार्ग वर्तमान समय में कश्मीर घाटी रेलवे (Kashmir Valley Railway) का सबसे करामाती हिस्सा है जो काज़ीगुंड से लेकर श्रीनगर होते हुए बारामुल्ला तक जाता है (Qazigund to Baramulla via Srinagar)। यह रेल मार्ग यात्रा मैदानी इलाकों को प्राचीन घाटी, बर्फ से ढकी चोटियों, इधर-उधर छिटकते चिनार के ऊँचे-ऊँचे वृक्षों को पार करते हुए और धरती के स्वर्ग कश्मीर की घाटी में प्रवेश करते हुए ट्रेन अपना रास्ता बनाते हुआ जाती है। यह मार्ग सर्दियों के महीनों में देखने वालों की आंखों के लिए वास्तविक होता है जब शुद्ध सफेद चादर की तरह चारों ओर बर्फ होती है।
यह प्रतिष्ठित कोंकण रेलवे लाइन महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक राज्यों (Maharashtra, Goa and Karnataka) से होते हुए 738 किमी तक फैली हुई है। इस रेल मार्ग में यात्रियों को सह्याद्री पर्वत, अरब सागर (Arabian Sea), दूधसागर झरना (Dudhasagar Fall) ,झीलें, श्चिमी घाट और सैकड़ों धाराओं एवं नदियों के साथ कई सुरंगें और पुल हैं। इस मार्ग से ट्रेन 92 सुरंगों और 2,000 पुलों से होकर गुजरती है, जिसमें पनवलनदी पुल (Panvalnadi Bridge) भी शामिल है, जो भारत में सबसे ऊंचा है। हरे-भरे हरियाली से आच्छादित परिदृश्य के साथ, कोंकण रेलवे यात्रा विशेष रूप से मानसून के मौसम के दौरान सबसे ज्यादा सुंदर और सुरमई हो जाता है। मानसून के दौरान, पटरियों के पास चट्टानों पर पानी की धाराएँ बहते हुए देखा जा सकता है। यात्री ट्रेन के स्तर पर बादलों को तैरते हुए देखते हैं, जिससे यात्रा और अधिक स्वर्गीय हो जाती है।
एक तरफ पूर्वी घाट (Eastern Ghats) और दूसरी तरफ चिल्का झील के साथ, भुवनेश्वर से ब्रह्मपुर तक (Bhubaneswar to Brahmapur) 3 घंटे लंबा सुंदर ट्रेन मार्ग प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी सपने से काम नहीं है। हरे-भरे पहाड़ों की सुंदरता, विशाल शांत झील और आकर्षक परिदृश्य आपकी आंखों को अधिकांश सवारी के लिए ट्रेन की खिड़की से चिपकाए रखेंगे। चिल्का झील (Chilka Lake), एक काले पानी का लैगून (Black Water Lagoon), भारतीय उपमहाद्वीप में भी प्रवासी पक्षियों के लिए सबसे बड़ा शीतकालीन मैदान है। मार्ग में अलग-अलग प्रजाति के खूबसूरत पक्षी भी देखने को मिल जाते है। इस विशिष्ट मार्ग पर कई ट्रेनें चलती हैं, जैसे इंटरसिटी एक्सप्रेस, प्रशांति एक्सप्रेस, कोणार्क एक्सप्रेस और प्रसिद्ध हावड़ा-चेन्नई मेल (Intercity Express, Prasanthi Express, Konark Express and Howrah-Chennai Mail)। यात्रा का आकर्षण चिल्का झील है, जो देश में दूसरी सबसे बड़ी झील है। इन सभी खूबसूरत और रोचक नज़ारे देखने के लिए दक्षिण की ओर जाने वाली ट्रेन के यात्रियों को बाईं ओर बैठना होगा।
न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग तक (New Jalpaiguri to Darjeeling) टॉय ट्रेन की सवारी देश की सबसे आश्चर्यजनक ट्रेन यात्राओं में से एक है। पहाड़ों की सैर से लेकर स्थानीय बाजार के बीचों बीच तक, दार्जीलिंग की ये मनमोहक ट्रेन यात्रा दिल जीत लेगी। इस खूबसूरत मार्ग में सुंदर परिदृश्यों की एक श्रृंखला शामिल है जो आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। टॉय ट्रेन जलपाईगुड़ी के मैदानी इलाकों से शुरू होती है और सिलीगुड़ी, सुखना, कर्सियांग और अन्य स्थानों से होते हुए भारत के सबसे ऊँचे रेलवे स्टेशन घुम (Highest Railway Station in India) पर पहुंचती है और फिर दार्जिलिंग की ओर उतरती है। हरे-भरे जंगल, चाय के बागान, ठंडी हवा और बर्फ से ढकी कंचनजंगा यात्रा (Mt. Kangchenjunga) में एक असली आकर्षण जोड़ते हैं, जो अनुभव करने लायक है। ट्रेन बतसिया लूप (Batasia Loop) नाम की जगह से भी गुजरती है जो पूरे शहर के शानदार मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। इस रेल मार्ग को अंग्रेज़ो द्वारा 1879 से 1881 के बीच शुरू किया था। इस रेल मार्ग की चौड़ाई महज दो फिट है जिसमे ट्रैन धीमी गति से चलती है।
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