जून में एलएसी पर शुरू हुआ भारत और चीन का विवाद अभी भी नहीं थमा Social Media
राज ख़ास

जून में एलएसी पर शुरू हुआ भारत और चीन का विवाद अभी भी नहीं थमा

चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग के संघर्ष वाले क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटाने से इंकार कर दिया है। यह कदम सीमा पर तनाव को बढ़ाने वाला है।

Author : राज एक्सप्रेस

बीते साल जून में एलएसी पर शुरू हुआ भारत और चीन का विवाद अभी भी नहीं थमा है। असर अपनी बात से मुकरने वाले चीन ने फिर वही रवैया दिखाया है। चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग के संघर्ष वाले क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटाने से इंकार कर दिया है। इतना ही नहीं, चीन ने यह भी कहा है कि भारत को जो कुछ हासिल हुआ है, उसे उससे खुश होना चाहिए। चीन का यह रुख तब है, जब उसने पहले हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा के पेट्रोलिंग पॉइंट 15 और पेट्रोलिंग पॉइंट-17ए से सेना पीछे हटाने पर सहमति जताई थी। लेकिन बाद में उसने इससे इंकार कर दिया। इससे साफ है कि भारतीय सेना अब एलएसी के पास उसकी नई स्थिति को स्वीकार करे। ये इलाके भारत और चीन, दोनों के लिए रणनीतिक तौर पर बेहद अहम है । चीनी सेना गोगरा, हॉट स्प्रिंग और कोंगका ला इलाके में तैनात अपने सैनिकों के लिए रसद पहुंचा पाती है। 11वें दौर की वार्ता 10 अप्रैल को हुई थी।

दोनों देशों की सेनाएं पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से अपने सैनिक और हथियारों को पीछे हटाने पर राजी हुईं थीं। हालांकि, अब चीन आनाकानी कर रहा है। चीनी सेना ने तिब्बत के स्वाया क्षेत्र में भर्ती अभियान चलाया है। भर्ती किए गए ज्यादातर तिब्बती युवा पहले से ही पीएलए के शिविरों में थे। इन युवाओं से चीन विशेष तिब्बती सेना इकाई तैयार करना चाहता है। दरअसल, चीन तिब्बती युवाओं को इसलिए भर्ती कर रहा है, क्योंकि ऊंचाई वाले इलाकों में उसके सैनिकों को समस्याओं का सामना करना पड़ा है। जब तक पीएलए के सैनिक गोग्रा और हॉट स्प्रिंग में रहेंगे तब तक तनाव रहेगा। कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिए समाधान होगा। यह हमारे धैर्य और संयम की परीक्षा है। सेना लंबे समय तक अपने इलाकों को घुसपैठियों से खाली कराने, उन्हें रोके रखने के लिए वहां मौजूद है। लेकिन आज पहले जैसी स्थिति नहीं है जब दोनों ओर के सैनिक अपनी बंदूकों के ट्रिगर पर उंगली रखकर बैठे थे।

हालांकि ऐसे तमाम मौके सामने आते रहे हैं, जब यही साबित हुआ कि उस पर पूरी तरह भरोसा करना जोखिम का काम है। फिर भी पड़ोसी देश और रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण होने के चलते भारत के लिए अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है। इसलिए भारत ने अब तक वार्ता का दरवाजा खुला रखा है और अब भी चीन से यही उम्मीद की जा रही है कि वह निर्धारित ठिकानों से अपनी सेना को वापस बुला ले। संभवत: चीन को भी इस बात का अंदाजा हो कि अगर उसने अपनी चाल नहीं बदली तो आने वाले वक़्त में कैसे हालात पैदा हो सकते हैं। सवाल है कि आखिर चीन अपने इस तरह के रुख से क्या हासिल करना चाहता है। वजह जो भी हो, मगर अब भारत को ज्यादा सतर्क रहना होगा। चीन पर ज्यादा भरोसा ठीक नहीं है। हम कई बार उस पर भरोसा कर मुंह की खा चुके हैं। अत: इस बार बेहद सावधानी से आगे बढऩा होगा।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

SCROLL FOR NEXT