भारत एकजुटता और इच्छाशक्ति दिखाकर महामारी को काबू में कर सकता है  Social Media
राज ख़ास

भारत एकजुटता और इच्छाशक्ति दिखाकर महामारी को काबू में कर सकता है

देश में शनिवार से कोरोना वैक्सीन का तीसरा चरण शुरू होने जा रहा है। हम धैर्य रखकर धीरे-धीरे कोरोना की महामारी को परास्त करने की ओर कदम तो बढ़ा ही सकते हैं।

Author : राज एक्सप्रेस

देश में शनिवार से कोरोना वैक्सीन का तीसरा चरण शुरू होने जा रहा है। केंद्र सरकार इस चरण को लेकर जितना उत्साहित है, राज्य सरकारें उतना ही पीछे हट रही हैं। राज्य वैक्सीन न होने की बात कह रही हैं। महाराष्ट्र, पंजाब और छत्तीसगढ़ के बाद अब मध्यप्रदेश में भी तीसरे चरण की शुरुआत नहीं हो पाएगी। हालांकि, 45 पार उम्र वालों को टीका लगता रहेगा। महामारी की गंभीरता के मद्देनजर पिछले दिनों केंद्र सरकार ने एक मई से 18 से 45 साल उम्र तक के लोग टीका लगवाने की घोषणा की थी। देश में महामारी की तस्वीर जिस कदर बिगड़ती जा रही है, उससे साफ है कि इसमें जितनी भूमिका संक्रमण के फैलाव की है, उससे ज्यादा यह स्थिति इससे निपटने में प्रबंधन के स्तर पर मौजूद कमियों की वजह से आई है। एक ओर जांच का दायरा ज्यों-ज्यों फैल रहा है, वैसे-वैसे यह उभर कर सामने आ रहा है कि विषाणु के पांव किस हद तक फैल रहे हैं, तो दूसरी ओर अस्पतालों में बुनियादी संसाधनों तक के अभाव से लेकर अव्यवस्था की वजह से काफी लोगों की मौत हो रही है।

ऐसे में कोरोना की रोकथाम के लिए ऑक्सीजन और दवाइयों के समांतर सबसे कारगर उपाय टीकाकरण को ही माना जा रहा है। हालांकि अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों को टीका लगाए जाने की शुरुआत हो चुकी है और उसके बाद से अब तक 15 करोड़ से ज्यादा लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है। संसाधनों के अभाव के बीच यह एक संतोषजनक उपलब्ध है। लेकिन यह भी सच है कि आबादी के अनुपात में अभी सबको टीका उपलब्ध करा पाना इतना आसान काम नहीं है। अब हालत यह है कि महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम आदि राज्यों में शनिवार से इस आयु वर्ग के लोगों के लिए टीकाकरण की शुरुआत कर पाना संभव नहीं है। कई अन्य राज्यों में भी टीकों की पर्याप्त खुराक उपलब्ध नहीं होने की वजह से यह कार्यक्रम अधर में लटकता दिख रहा है। दरअसल, आबादी के इतने बड़े हिस्से को आसानी से टीका लगाना व्यापक और जटिल काम है।

मौजूदा स्थिति को देखते हुए यही लगता है कि जब तक सबके लिए इसकी उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो जाती है, तब तक इस कार्यक्रम की सफलता आसान नहीं होगी। फिर यह भी देखना होगा कि सरकारी तंत्र के नियंत्रण में यह काम पूरा कर पाना कितना संभव होगा या फिर इसमें निजी क्षेत्र को कुछ और छूट दी जाएगी। यह सवाल भी उठ सकता है कि क्या खुले बाजार में टीके उपलब्ध करा कर कार्यक्रम में केंद्रित बोझ को कुछ कम किया जा सकता है! देश इस महामारी की त्रासदी से बाहर निकलेगा, लेकिन फिलहाल जरूरत इस बात की है कि टीके के सुलभ होने तक महामारी से बचाव के लिए निर्धारित नियम-कायदों का पूरी तरह पालन किया जाए, ताकि संक्रमण को काबू में किया जा सके। यह हम देख चुके हैं कि कई देशों में टीका लगाकर अपने यहां कोरोना की रफ़्तार कम की है। हम भी एकजुटता और इच्छाशक्ति दिखाकर महामारी को काबू में कर सकते हैं।

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