स्वास्थ्य विशेषज्ञों की नजर अब कोविड-19 के नए वैरिएंट पर आ टिकी है। Syed Dabeer Hussain - RE
राज ख़ास

Covid-19: ऐसी वैक्सीन की तलाश, जो कर दे सभी बीमारियों को खल्लास

राष्ट्रों द्वारा अपने-अपने स्तर पर ईजाद की जा रहीं अलग-अलग वैक्सीन के इतर उनका ध्यान सार्वभौमिक SARS-CoV-2 वैक्सीन की जरूरत पर होना चाहिए।

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स –

COVID-19 वैरिएंट नित कर रहा प्रहार

SARS, MERS, COVID-19 के खतरे अपार

सार्वभौमिक थ्री इन वन वैक्सीन की पड़ी दरकार

राज एक्सप्रेस। दुनिया के अधिकांश देश कोरोना वायरस महामारी के नए प्रारूपों के कारण नित नए खतरों से जूझ रहे हैं। अमेरिका, ब्राजील, भारत जैसे राष्ट्रों में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट्स पहचाने गए हैं।

ऐसे में एक ऐसी वैक्सीन की दरकार महसूस होने लगी है जो न केवल कोविड-19 (Covid-19) बल्कि सार्स (SARS), मर्स (MERS) के अलावा कोरोना वायरस से जुड़ी भविष्य संबंधी महामारियों के उपचार में भी कारगर हो।

थ्री इन वन! -

सोचिये क्या हो यदि एक ही वैक्सीन सभी पर राज करे? मतलब ऐसी एक वैक्सीन जो इंसान को सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (Severe Acute Respiratory Syndrome) यानी सार्स (SARS) एवं मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (Middle East respiratory syndrome) अर्थात मर्स (MERS) एवं कोविड-19 (COVID-19) के साथ ही कोरोना वायरस (coronavirus) से नाता रखने वाली भविष्य की बीमारियों से हमेशा के लिए सुरक्षा प्रदान करने में कारगर हो!

हमारा ग्रह खतरे में -

हमारा ग्रह पृथ्वी कोरोना महामारी (pandemic) की भयंकर चपेट में है। इसके तमाम देश प्राकृतिक आपदा से उपजी लाइलाज बीमारी की समस्या से अपने-अपने स्तर पर जूझ रहे हैं।

नए रूपांतरण की चुनौती -

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की नजर अब कोविड-19 के नए रूपांतरण (वैरिएंट) पर आ टिकी है। कोरोना की पिछली तबाही से उबरकर वापसी कर रही अर्थव्यवस्थाओं को कोरोना की नई लहर ने फिर पीछे धकेल दिया है।

भारत में COVID-19 के ताबड़तोड़ बढ़ रहे नए मामलों के कारण अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत पैदा हो गई है। अधिकारी सार्स-कोवी-2 (SARS-CoV-2) के डबल म्यूटेंट (double mutant) यानी दोहरे उत्परिवर्ती अवतार (प्रकार/संस्करण) के बारे में चिंतित हैं, जिसे B.1.167 कहा जा रहा है।

गर्भ धारण न करें - सरकार

आंकड़ों के मान से ब्राजील में रोजाना 2,500 से अधिक लोगों की मृत्यु हो रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां सरकार ने महिलाओं को पी पॉइंट वन (P.1) वैरिएंट के खौफ के कारण गर्भ धारण करने से बचने की अपील की है। रिपोर्ट्स में उल्लेख है कि ऐसे वैरिएंट्स आगे चलकर म्यूटेशन की परत पर म्यूटेशंस के रूप में नए वैरिएंट्स को जन्म दे रहे हैं।

फाइव वैरिएंट्स इन यूएस -

नित नए बदलाव ले रही महामारी के संभावित खतरों के मद्देनजर पिछले महीने, संयुक्त राज्य अमेरिका की सीडीसी (Centers for Disease Control and Prevention) यानी रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए केंद्र ने ऐहतियाती कदम उठाये हैं।

इसमें उभरते जोखिमों को प्राथमिकता देने में मार्गदर्शन करने तीन स्तरीय एक प्रणाली जारी की गई है। 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' (variant of interest) विशेष रूप से एक खतरनाक तनाव है यह सुखद है कि, जो अभी तक व्यापक रूप से नहीं फैला है। यदि ऐसा होता है, तो यह नई चिंता का सबब बन सकता है।

कोविड-19 के नए रूपांतरण (वैरिएंट) की बात करें तो यूएस में अब तक पांच वैरिएंट्स (B.1.1.7, B.1.351, P.1, B.1.427, and B.1.429) की पुष्टि हो चुकी है। इनसे COVID-19 परीक्षण और मौजूदा टीकों के उपचार से बचा जा सकता है।

पहचानने में दिक्कत -

विशेषज्ञों की अब तक की जानकारी कहती है कि, कोविड के नित नए रूप ले रहे प्रकारों की पहचान कर पाना मुश्किल हो रहा है। जब तक एक प्रकार के बारे में कुछ अध्ययन हो पाता है तब तक दूसरा नया वैरिएंट दुनिया में असर दिखाने लगता है।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि अलग-अलग वैरिएंट को ट्रेस करना और उस पर प्रतिक्रिया करना बहुत बड़ी चुनौती है, हमें और अधिक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। वो भी जल्द से जल्द।

सार्वभौमिक वैक्सीन पर काम -

राष्ट्रों द्वारा अपने-अपने स्तर पर ईजाद की जा रहीं अलग-अलग वैक्सीन के इतर उनका ध्यान सार्वभौमिक SARS-CoV-2 वैक्सीन की जरूरत पर होना चाहिए।

वो वैक्सीन जो मनुष्य की रक्षा वायरस के किसी भी रूप, प्रतिरूप से कर सके। ऐसी वैक्सीन जो किसी भी वैरिएंट के लिए कम से कम आंशिक प्रतिरक्षा को स्थापित कर सके।

कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो हम अंतहीन परेशानी का ही असफल पीछा करते रहेंगे। कोरोना वायरस के लिए SARS-CoV-2 वैक्सीन की तलाश अभी दुनिया के लिए प्रारंभिक कदम है।

पीढ़ी की महान खोज -

दूसरे हल के रूप में एक्सपर्ट्स की राय है कि, ऐसा सार्वभौमिक SARS-CoV-2 वैक्सीन तैयार हो जो न केवल कोविड-19 के मौजूदा प्रकाश में आए वैरिएंट्स से रक्षा में कारगर हो बल्कि भविष्य में संभावित इस तरह की महामारियों से बचाव में भी मददगार हो। ऐसी वैक्सीन बनाने की दौड़ किसी पीढ़ी के महान कारनामों में से एक साबित हो सकती है।

प्रोटीन से चकमा -

मूल समस्या यह है कि हमारी कोशिकाओं (cells) को लगता है कि, कोरोना वायरस उनका दोस्त है। प्रत्येक वायरल कण प्रोटीन में लिपटे होते हैं, जिन्हें इसके "स्पाइक" प्रोटीन के रूप में संदर्भित किया जाता है। यह मानव जीवन के लिए खतरे के कारक हैं। गौरतलब है कि SARS-CoV-2 वायरस के वैरिएंट्स ने दुनिया को घुटनों पर ला खड़ा किया है।

कैसे टीकों की जरूरत? -

चुनौती यह है कि एक ऐसा टीका तैयार किया जाए जो ऐसे परिवर्तनों की आशंका पैदा करे और जो प्रतिरक्षा प्रणाली को ऐसे वेरिएंट को पहचानना और उनसे लड़ना सिखाए जो अभी तक मौजूद नहीं हैं। एक सार्वभौमिक SARS-CoV-2 वैक्सीन इस महामारी को समाप्त करने के लिए आवश्यक साबित हो सकती है।

तीन वायरस -

पिछले केवल 18 सालों में तीन वायरस ने विनाशकारी मानव रोगों (SARS, MERS और COVID-19) को जन्म दे डाला है। सवाल यह है कि अब कौन सा नया वायरस धरती पर गदर मचाता है? इसका जवाब फिलहाल नहीं है।

SARS-CoV-?

एक्सपर्ट्स का मानना है कि SARS-CoV-2 के इतर SARS-CoV-3 और SARS-CoV-4 की भी चुनौती है। तमाम स्वास्थ्य संगठनों ने इस बारे में दुनिया को पहले से चेताया भी है।

इनकी वकालत -

सार्वभौमिक कोरोना वायरस वैक्सीन के प्रोजेक्ट में सेलुलर और सिस्टम बायोलॉजी, इम्यूनोलॉजी, जेनेटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और संरचनात्मक मॉडलिंग जैसी कुछ विशिष्ट विधाओं को शामिल करने की वकालत की गई है। वैक्सीन को बृहद स्वरूप देने के लिए यह रास्ता सुझाया गया है।

एक राय यह भी है कि जी 7 राष्ट्रों (G7 nations) की सरकारों को सिस्टम पर काम करने के लिए निजी क्षेत्र, विश्व स्वास्थ्य संगठन और गैर-लाभकारी संगठनों के साथ आगे आना होगा।

इस परियोजना की लागत अरबों की हो सकती है, लेकिन महामारी में प्राण गंवाने वालों की तुलना में यह रत्ती मात्र आंकी जानी चाहिये। अनुभव कहता है कि दुनिया ने SARS, MERS, HIV, स्वाइन फ्लू के बाद भी नहीं सीखा है, लेकिन शायद इस बार हम संगठित रूप से नैदानिक उपाय खोजेंगे....

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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