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संगठन में भेजे जा सकते हैं अनुराग,स्मृति व प्रधान जैसे केन्द्रीय मंत्री, गिरिराज के जिम्मे होगी बिहार की कमान

Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बुधवार देर रात हुई गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष की बैठक में केंद्र सरकार, भाजपा संगठन में राज्य स्तर पर बड़े बदलावों का निर्णय लिया गया है। पार्टी के उच्च स्तरीय सूत्रों के अनुसार इस बेहद अहम बैठक में केंद्र सरकार और भाजपा संगठन में केंद्र और राज्य स्तर पर जल्दी ही कुछ बड़े बदलाव देखने को मिलने वाले हैं। बैठक में इस साल देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के हिसाब से सरकार और संगठन में बड़े पैमाने पर फेरबदल करने का निर्णय लिया गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में अगले माह के मध्य तक चुनावी राज्यों के सदस्यों का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जा सकता है।

कुछ पुराने लोगों की हो सकती है विदाई

बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार सरकार और संगठन से कुछ पुराने लोगों की विदाई और कुछ नए लोगों की एंट्री हो सकती है। सरकार और संगठन में कौन रहेगा और किसे विदाई दी जाएगी। पार्टी नेतृत्व ने इस पर निर्णय के लिए प्रदर्शन को आधार बनाया है। राज्य संगठन से मिले फीडबैक के आधार पर जिन केन्द्रीय मंत्रियों का अब तक का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा, जो अपने मंत्रालय की योजनाएं जमीनी स्तर पर लागू करवाने में सफल नहीं रहे, उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर किया जा सकता है। जो नेता अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं पर जातीय गणित को साधने के लिहाज से अनुकूल नहीं हैं, उन्हें भी नए चेहरों से केंद्रीय मंत्रिमंडल रिप्लेस किया जा सकता है। इसकी वजह से इस राल पांच राज्यों और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव।

नए चेहरों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में मिलेगी जगह

इस साल देश के 5 राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मणिपुर में चुनाव होने हैं। इस वजह से प्रधानमंत्री मोदी इन राज्यों के कई नए चेहरों को अपने मंत्रिमंडल में स्थान दे सकते हैं, ताकि संबंधित प्रदेश के लोगों को संदेश दिया जा सके कि केंद्र सरकार उनके राज्य को पर्याप्त महत्व दे रही है। बैठक में भाजपा हाईकमान ने राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में किसी भी कीमत पर अपनी सरकार बनाने का संकल्प दोहराया। जिन पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें केवल मध्यप्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में ही फिलहाल भाजपा सत्ता में है। बैठक में उन रणनीतियों पर चर्चा की गई, जो पार्टी को कांग्रेस शासित राज्यों में बड़े बदलाव की भूमि तैयार कर सकें।

चुनावी राज्यों पर है केंद्रीय नेतृत्व का विशेष फोकस

भाजपा सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी इस साल जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं उनको लेकर अत्यंत सतर्क हैं। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा हाईकमान आगे होने वाले विधानसभा चुनाव में नहीं दोहराना चाहता। राजस्थान में सतीश पूनिया की जगह सांसद सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। ऐसा करके केंद्रीय नेतृत्व ने सीधा संदेश दिया था कि हमें ऐसा प्रदेश अध्यक्ष नहीं चाहिए जो गुटबाजी पर लगाम लगाने की बजाय, खुद गुटबाजी का हिस्सा बन जाए। शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि प्रदेश में संगठन की बागडोर ऐसे नेताओं के हाथ होनी चाहिए, जो सबको साथ लेकर जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करते दिखाई पड़ें।

कई राज्य इकाइयों के कामकाज से संतुष्ट नहीं केंद्रीय नेतृत्व

सूत्रों के अनुसार भाजपा केंद्रीय नेतृत्व कई अन्य राज्यों के साथ-साथ मध्यप्रदेश प्रदेश प्रदेश संगठन के कामकाज से खुश नहीं है। खबर है कि मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान और छत्तीसगढ़ में प्रदेश संगठन अपने कामकाज से केंद्रीय नेतृृत्व को प्रभावित नहीं कर पाया है। मध्यप्रदेश में भले ही भाजपा की सरकार है, लेकिन भाजपा नेतृत्व कांग्रेस को लेकर चिंता में है। पिछले विधानसभा चुनव में भाजपा को कांग्रेस ने जबर्दस्त टक्कर देते हुए सत्ता से बाहर कर दिया था। हालांकि, बाद के सियासी घटनाक्रम ने उसे एक बार फिर सत्ता दिला दी थी। भाजपा नेतृत्व राज्य में पार्टी की स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं देख रहा है। सूूत्रों के अनुसार इसी वजह से प्रदेश संगठन मे बड़े बदलाव का निर्णय लिया गया है। मोदी की बैठक में राज्य स्तर पर बड़े बदलाव करते हुए पार्टी संगठन को सक्रिय करने का निर्देश दिया है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल से पार्टी संगठन में भेजे जा सकते हैं कई नेता

सूत्रों के अनुसार चुनावी रणनीति के तहत कुछ ऐसे मंत्रियों को संगठन में भेजा जा सकता है जो चुनावी प्रबंधन के लिहाज से उपयोगी हो सकते हैं। खबर है कि केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, भूपेन्द्र यादव और अनुराग ठाकुर को पार्टी संगठन में भेजा जा सकता है। यह भी चर्चा है कि स्मृति ईरानी को भी पार्टी संगठन में भेजा जा सकता है। इसी तरह बिहार में जेडीयू और राजद से मुकाबले की जिम्मेदारी गिरीराज सिंह को सौंपी जा सकती है। इसी तरह, राजस्थान में चुनाव के मद्देनजर गजेन्द्र सिंह शेखावत की जिम्मेदारी बढ़ाई जा सकती है। तेज तर्रार नेता संजीव बालियान को उत्तर प्रदेश की सीमा से बाहर निकालते हुए हरियाणा और राजस्थान में सक्रिय किया जा सकता है, ताकि वह वहां की जातीय गणित को भाजपा के अनुकूल बना सकें।

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