ग्वालियर। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आहट शुरू हो चुकी है ओर इसको लेकर सभी दल अपने हिसाब से जहां तैयारियां कर रहे है वहीं हर दल के नेता इसको लेकर गणित लगा रहे है कि किस दल से उनको टिकट आसानी से मिल सकता है, यही कारण है कि अधिकांश दावेदार अपनी संभावनाएं तलाशने मे जुट गए है ओर गुप्त रूप से हर दल के नेताओ से भी चर्चा करने लगे है। यही कारण है कि टिकट के गणित को कांग्रेस नेता बलवीर डंडोतिया ने भांप लिया तो उन्होने तत्काल टिकट की चाहत में कांग्रेस छोड़ बसपा का दामन थाम लिया। अब ऐसा नहीं है कि ऐसा सिलसिला आगे नहीं होगा बल्कि समय व राजनीतिक गणित का आंकलन करने के बाद ऐसे कई नेता अंचल में अभी दल बदल सकते है।
चुनाव को लेकर दोनों दलो के दावेदार सक्रिय होकर अपने लिए जिस तरह से संभावनाएं टिकट की तलाश रहे है उसके चलते आने वाले कुछ माह के अंदर ही नेताओ की एक दल से दूसरे दल में एंट्री होने की संभावनाएं ग्वालियर-चंबल संभाग में अधिक दिखाई दे रही है। भाजपा मे सिंधिया के साथ जो लोग गए थे, उनमें से जो नेता उप चुनाव में हार गए थे उनको टिकट मिलने की संभावनाएं कम दिख रही है साथ ही कुछ अन्य के भी टिकट कटने की राजनीतिक गलियारो में चर्चा हो रही है जिसके कारण दावेदारो में बैचेनी बढ़ी हुई है। अब उस बैचेनी को शांत करने के लिए ऐसे दावेदार इस बात की टोह लगाने में लगे हुए है कि राजनीतिक गलियारो में जो चर्चाएं हो रही है उसमें कितनी सच्चाई है लेकिन उनको उन चर्चाओ के बारे में अभी तक कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकी है जिससे वह अपनी संभावनाएं दूसरे दलो में भी खोज रहे है।
भाजपा से निष्कासित नेता प्रीतम लोधी की वापसी को लेकर भी कुछ दिनो से चर्चा चल रही थी ओर इसको लेकर पिछोर विधानसभा का दौरा कार्यक्रम भी सिंधिया का बन गया था, लेकिन अचानक उनका दौरा वहां जाने का निरस्त होने से यह चर्चा होने लगी है कि फिलहाल बात नहीं बन पाई है। अब इसके पीछे क्या कारण है इसको लेकर कई तरह की राजनीतिज्ञ अंदाजा लगा रहे है। वहीं सूत्रो से जो जानकारी निकलकर सामने आ रही है उसके मुताबिक प्रीतम लोधी भी अपने अगले कदम को लेकर पूरी तरह से सक्रियता से कदम आगे रखने मे लगे हुए है ओर उनकी कुछ कांग्रेस नेताओ के संग भोपाल में अंचल के ही एक कांग्रेस नेता के घर पर चर्चा हुई है अब उस चर्चा में उनके लिए कौन सा विधानसभा क्षेत्र देने का मन कांग्रेस बना रही है इसको लेकर फिलहाल पेंच फंसा हुआ है, क्योंकि कांग्रेस में पिछोर के लिए बैकेंसी खाली नहीं है ऐसे में मेहगांव विधानसभा ऐसी है जहां से उनको आगे किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए नेता प्रतिपक्ष की हामी अहम होगी।
भाजपा में एक समय था जब अनूप मिश्रा की तूती बोलती थी, लेकिन समय के साथ उनको भी अब शांत होकर घर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा ओर ऐसे में वह आने वाले विधानसभा चुनाव में क्या कदम उठाते है उस पर भी भाजपा की नजर है। अनूप मिश्रा अंचल में ब्राह्मण वर्ग के बडे नेता है ओर उनका समाज के अंदर खासा जनाधार है, ऐसे मेें भाजपा उनको चुनाव में किस तरह से उपयोग करती है इसको लेकर भी मंथन किया जा रहा है, लेकिन सूत्र का कहना है कि मिश्रा इस बार चुनाव लड़ने के मूड में है। यही कारण है कि जिस तरह से केन्द्रीय मंत्री सिंधिया लगातार अनूप मिश्रा के घर पर जाकर उनसे मुलाकात कर रहे है उसके मायने कई तरह से निकाले जा रहे है। खैर राजनीति में हर नेता अपने लिए टिकट की संभावनाएं तलाशते है ऐसे में विधानसभा चुनाव तक कई दावेदार इधर से उधर हो सकते है ओर इसकी संभावनाएं कही अधिक दिख रही है।
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