राज एक्सप्रेस। भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व मुख्यमंत्री व जन-जन के नेता बाबूलाल गौर अब हमारे बीच नहीं रहे हैं, 21 अगस्त 2019 को सुबह उनका निधन हो गया, उनकी उम्र 89 साल की थी। बाबूलाल गौर जी के निधन से मध्यप्रदेश मेें राजनीति के एक युग की समाप्ति हो चुकी है, उनकी एक पहचान बुलडोजर मंत्री के रूप में भी थी।
जीवन परिचय :
बाबूलाल गौर का जन्म 2 जून 1930 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में हुआ था, लेकिन वे बचपन से ही भोपाल में रहे। उनके पिता का नाम श्री रामप्रसाद था। वहीं इन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यताओं में बी.ए. और एल.एल.बी. की डिग्रियाँ हासिल की हैं।
क्यों कहा जाता है बुलडोजर मंत्री :
बाबूलाल गौर विकास कार्यों व अतिक्रमण हटाने की मुहिम के कारण वे एक बुलडोजर मंत्री कहलाए जाने लगे थे, वे अतिक्रमण वाली जगहों पर अपने काफिले के साथ ही बुलडोजर लेकर जाते और अतिक्रमण हटवा देते, उनकी यही कार्यशैली को देखते हुए लोगों ने उन्हें बुलडोजर मंत्री कहना शुरू कर दिया था।
कैसे हुआ निधन :
बाबूलाल गौर वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे, उनका स्वास्थ्य ठीक न रहने के कारण अभी कुछ दिन पहले ही उन्हें भोपाल के नर्मदा अस्पताल में भर्ती किया गया था, वे पिछले 14 दिनों से वेंटिलेटर पर थे, लेकिन 20 अगस्त को उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी, ब्लड प्रेशर कम होने के साथ ही पल्स रेट भी गिरने लगा, इसके अलावा उनकी किडनी पूरी तरह काम नहीं कर रही थी, साथ ही सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी, उन्होंने 21 अगस्त 2019 को सुबह के समय अंतिम सांस ली और दुनिया को अलविदा कह चले।
एक ही क्षेत्र से बनाया रिकॉर्ड :
बाबूलाल जी गौर अपने परिश्रम के बल पर ही शून्य से शिखर पर पहुँचे, उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1972 में की, यहां भोपाल की गोविंदपुरा सीट से निर्दलीय चुनाव जीता। इसके बाद से वे लगातार इसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतते रहे। मध्य प्रदेश के वे ऐसे पहले नेता हैं, जिन्होंने मध्य प्रदेश विधानसभा के एक ही क्षेत्र से लगातार 10 चुनाव जीतकर अपने नाम एक रिकॉर्ड बनाया है।
वे 1977 से 2013 तक भोपाल गोविंदपुरा सीट के विधायक रहे। 1990 से 1992 तक एमपी के स्थानीय शासन, विधि-विधायी कार्य, संसदीय कार्य, जनसंपर्क, नगरीय कल्याण, शहरी आवास, पुनर्वास व भोपाल गैस त्रासदी राहत मंत्री रहे। इसके बाद 1999-2003 में 'भारतीय जनता पार्टी' के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे। वर्ष 2004 से 2005 तक बाबूलाल गौर ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली। वहीं 2016 में उम्र का हवाला देकर उनहें मंत्री पद छोड़ना पड़ा।
मजदूर से मंत्री तक का सफर :
मध्य प्रदेश के पहले नेता बाबूलाल गौर एक ऐसा नेता है, जिन्होंने मिल मजदूर से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। राजनीति में आने से पहले वे भोपाल की पुट्ठा मिल में मजदूरी करते थे और अपनी पढ़ाई भी करते थे। भेल में नौकरी करने के दौरान वह कई श्रमिक आंदोलनों से जुड़े, वह भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक सदस्य भी रहे। वहीं आपातकाल के दौरान वे 19 माह तक जेल में भी रह चुके थे।
राष्ट्रीय राजनीति में शोक की लहर :
बाबूलाल गौर जी का राजनीतिक, व्यक्तिगत और समाजिक जीवन सब प्रेरणा दायक रहा, वहीं मध्यप्रदेश सरकार ने 3 दिन के लिए राजकीय शोक का ऐलान किया है, उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। वहीं बाबूलाल गौर के निधन की ये दु:खद खबर सुनते ही भाजपा ही नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्रीय राजनीति में शोक की लहर है, अन्य नेता अपने ट्विटर हैंडल पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्हें श्रृद्धांजलि देे रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी श्रृद्धांजलि :
शिवराज सिंह ने ट्वीट में कहा- प्रदेश में एक युग खत्म :
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट कर दी श्रृद्धांजलि :
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