नई दिल्ली। कांग्रेस ने विभिन्न न्यायालयों में लंबित करोड़ों मामलों को देखते हुए देश में न्याय प्रणाली के आकलन पर सोमवार को बल दिया और कहा कि सामाजिक और आर्थिक न्याय की दिशा में गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए।
कांग्रेस की अमी याज्ञनिक ने राज्य सभा में 'उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय न्यायाधीश (वेतन एवं सेवा शर्त) संशोधन विधेयक 2021' पर चर्चा शुरू करते हुए कहा कि भारत में विभिन्न स्तरों पर न्यायालयों में करोड़ों मामले लंबित है और लाखों लोग सुनवाई नहीं हो पाने के कारण जेलों कैद हैं। देश में न्याय बहुत महंगा है और लाखों लोग न्याय तक पहुंच नहीं बना पाते। इसके बावजूद लोगों को न्यायपालिका पर बहुत भरोसा है और सब तरफ से निराश होने के बाद लोग न्यायालयों का रुख करते हैं।
उन्होंने कहा कि देश में न्याय प्रणाली का आकलन किया जाना चाहिए और लोगों के लिए 'निर्णय' की नहीं बल्कि 'न्याय' की व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वास्तव में 'न्याय मिलने में देरी होना, न्याय नहीं मिलना' है। उन्होंने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु में ढील दी जानी चाहिए और उनके अनुभव एवं न्याय करने की क्षमता को प्राथमिकता देनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ग्राम न्यायालय की परिकल्पना की थी। इस दिशा में गंभीरता से प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे आम जनता को न्याय तेजी से मिलेगा और लंबित मामलों की संख्या में कमी आएगी। सुश्री याज्ञनिक ने कहा कि देश में सामाजिक न्याय और आर्थिक न्याय की प्रक्रिया भी तेज करनी चाहिए। सामाजिक और आर्थिक न्याय होने से न्यायालयों में मुकदमों की संख्या में कमी लाई जा सकती है।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।