बच्चों को मूलभूत जरूरतें मुहैया नहीं करा रही निगम : आप Social Media
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बच्चों को मूलभूत जरूरतें मुहैया नहीं करा रही निगम : आप

आम आदमी पार्टी (आप) ने आरोप लगाया है कि भाजपा शासित निगम पिछले दो साल से बच्चों को किताबें, ड्रेस, स्टेशनरी आदि मूलभूत जरूरतें मुहैया नहीं करा रही है।

News Agency

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) ने आरोप लगाया है कि भाजपा शासित निगम पिछले दो साल से बच्चों को किताबें, ड्रेस, स्टेशनरी आदि मूलभूत जरूरतें मुहैया नहीं करा रही है। आप के वरिष्ठ नेता एवं विधायक दुर्गेश पाठक ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश में ‘शिक्षा का अधिकार’ को लेकर एक बहुत बड़ा आंदोलन चला। सिविल सोसाइटीज, एनजीओ और शिक्षकों ने बहुत समय तक आंदोलन चलाया कि हिंदुस्तान में हर बच्चे को शिक्षा का मौलिक अधिकार मिलना चाहिए। बड़ी मुश्किलों के बाद 2010 में यह बिल पास हुआ कि हर बच्चे को शिक्षा मिले इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की ड्रेस, स्टेशनरी, किताबें आदि भी सरकार ही देगी। हिंदुस्तान की लगभग सभी सरकारें यह काम कर रही है, लेकिन भाजपा शासित निगम इस पूरे बिल का बड़ी बेशर्मी से उल्लंघन कर रही है।

उन्होंने कहा कि आज लगभग 10 लाख बच्चे निगम के स्कूलों में पढ़ते हैं लेकिन वह बच्चे अपनी ड्रेस, किताबों और स्टेशनरी के लिए तरस रहे हैं। अगस्त का महीना चल रहा है, स्कूल खुले हुए काफी समय हो गया है, लेकिन अभी तक एमसीडी ने बच्चों को मूलभूत चीजें भी उपलब्ध नहीं कराई गई हैं। ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है। जब कोरोना के समय में स्कूल बंद थे तो निगम ने कोरोना का बहाना देकर बच्चों को किताबें और ड्रेस नहीं दीं। आम आदमी पार्टी ने कहा कि भले ही बच्चों को अभी ड्रेस की जरूरत ना हो लेकिन उन्हें किताबें तो मिलनी चाहिए। ऑनलाइन क्लासेस चल रही थी लेकिन बच्चों के पास किताबें तक नहीं थीं। एमसीडी ने कहा कि हम बच्चों के खाते में पैसा डाल देंगें लेकिन बाद यह वादा भी झूठा निकला।

‘आप’ विधायक ने कहा कि निगम के स्कूलों में दिल्ली का सबसे गरीब तपका पढ़ने जाता है। उन लोगों के पास इतना पैसा नहीं होता है कि खुद के लिए किताबें, ड्रेस आदि चीजें खरीद पाएं। पिछले दो साल से एमसीडी बच्चों को स्टेशनरी, किताबें, ड्रेस आदि मुहैया नहीं करा रही है। दिलचस्प बात यह है कि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि इन सब चीजों पर एमसीडी पूरा पैसा खुद से लगाती है। इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार भी पैसा देती है। हर जगह से मदद मिलने के बावजूद एमसीडी बच्चों तक जरूरत की चीजें नहीं पहुंच रही है। इसका मतलब है कि इसमें कुछ बड़ी गड़बड़ चल रही है।

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