राज एक्सप्रेस। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद हरियाणा में तोड़ मोड़ की राजनीति शुरू हो गई है। राज्य में किसी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है।
हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं, सरकार बनने के लिए इनमें से 46 सीटें चाहिए, अभी किसी भी पार्टी के पास पूरी 46 सीटें नहीं हैं। इस आंकड़े के सबसे करीब भारतीय जनता पार्टी खड़ी है।
भाजपा को अब तक 2 निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिल चुका है, जिससे वो 42 पर पुहंच गयी है। इसी के साथ 11 महीने पहले बनी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) 10 सीटों के साथ हरियाणा में किंगमेकर की भूमिका निभा सकती है।
सबसे पहले जानते है नतीजों के बाद हरियाणा विधानसभा की स्थिति-
हरियाणा में भाजपा के कई मंत्री चुनाव हार गए हैं। इस कारण से भाजपा को सरकार बनाने में जोड़-तोड़ की राजनीती करनी पड़ रही है। दूसरी ओर कांग्रेस प्रदेश में दूसरे नंबर की पार्टी बन कर सामने आयी है।
भाजपा के पास 40 सीटें हैं, कांग्रेस 31 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर है, वहीं 10 सीटों के साथ जेजेपी तीसरे स्थान पर है, निर्दलीय 7 और अन्य के खाते में 2 सीटें मिली हैं।
गैर-भाजपा दल एक हुए तो बन सकती है सरकार-
अगर हरियाणा में कांग्रेस गैर भाजपाई दलों को अपने साथ कर लेती है तो यहां कांग्रेस की सरकार बन सकती है। इस विषय पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने सभी गैर भाजपाई दलों से एक साथ आने का निवेदन किया है। इन सभी दलों का एक जुट होना, मुख्यमंत्री पद की मांग को लेकर मुश्किल दिख रहा है।
भाजपा को अगर जेजेपी का समर्थन मिलता है तो वो हरियाणा में आसानी से सरकार बना सकते हैं। जेजेपी की ओर से कहा गया है कि, उनकी पार्टी किसी के पास नहीं जाएगी जिसे समर्थन चाहिए वे उनके पास आएं।
जेजेपी के संस्थापक एवं अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला कह चुके हैं कि, जो पार्टी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करेगी एवं हरियाणा में रोज़गार के नए अवसर प्रदान करेगी, हमारा समर्थन उनको होगा।
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