28 फरवरी को मनाया जाता है नेशनल साइंस डे।
सुबह की प्रथाओं के पीछे है विज्ञान।
मेडिटेशन करने से तनाव कम होता है।
नहाने से बॉडी का सर्कुलेशन ठीक रहता है।
राज एक्सप्रेस। हम भारतीय लोग रीति रिवाज और परंपराओं को बहुत मानते हैं। खासतौर से सुबह के रिच्युल का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। हमारे बुजुर्गों के बताए जाने के बाद आज तक हम सुबह के कुछ नियमों का पालन करते आ रहे हैं। क्योंकि ये न केवल हमारे दिमाग को शांत करते हैं, बल्कि गहरा सांस्कृतिक, मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक महत्व भी रखते हैं। हम सुबह मेडिटेशन से लेकर नहाने और नाश्ता करने तक कई प्रथाओं का पालन करते आ रहे हैं। पर क्या आपने कभी सोचा है कि इससे क्या होता है और ये क्यों जरूरी हैं। यहां राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के मौके पर हम आपको सुबह की परंपरा और विज्ञान के बीच संबंधों के बारे में बता रहे हैं।
कई लोग सुबह स्ट्रेचिंग करते हैं। लेकिन क्या आप इसके पीछे का साइंस जानते हैं। दरअसल, ऐसा करने से ब्लड फ्लो ठीक रहता है और मांसपेशियों की कठोरता को कम करने में मदद मिलती है।
सुबह-सुबह या भोजन से पहले पानी पीने से पाचन में मदद मिलती है और मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा मिलता है। इतना ही नहीं जो लोग सुबह उठकर सबसे पहले पानी पीते हैं, उन्हें कभी हाइड्रेशन से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं नहीं होतीं।
भारतीय लोगों के बीच सुबह उठकर चाय पीने की परंपरा है। इससे कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। विज्ञान के अनुसार, चाय पीने से हृदय रोग और कैंसर के प्रति सुरक्षा मिलती है।
वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध हो चुका है कि ध्यान तनाव को कम कर फोकस में सुधार करता है। नियमित रूप से ध्यान करने से मस्तिष्क संरचना में बदलाव को बढ़ावा देता है।
नहाने से न केवल शरीर स्वस्थ होता है, बल्कि इसके कई थैरेपीयूटिक बेनिफिट हैं। जो लोग रोज नहाते हैं, तनाव उनसे दूर भागता है। मांसपेशियों में आराम और सर्कुलेशन में इंप्रूवमेंट लाने के लिए नहाने की प्रथा का पालन करना बहुत जरूरी है।
आज भी कई घरों में भोजन करने से पहले प्रार्थना करने की प्रथा है। इससे माइंडफुल ईटिंग को प्रमोट करने में मदद मिलती है। इतना ही नहीं, इससे व्यक्ति के पाचन में सुधार होता है साथ ही भोजन के प्रति जुड़ाव की भावना भी पैदा होती है।
रोजाना किए जाने वाले ये रिच्युल हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इसलिए ईमानदारी के साथ इनका पालन करना चाहिए।
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