राज एक्सप्रेस। आज विश्व अंतर्मुखी दिवस है। हर साल 2 जनवरी को दुनिया भर में विश्व अंतर्मुखी दिवस मनाया जाता है। इन दिन लोगों को अंतर्मुखी लोगों की आंतरिक दुनिया के बारे में जागरूक किया जाता है। लोगों को यह बताया जाता है कि अंतर्मुखी होने का मतलब यह नहीं है कि लोग समाज में काम नहीं कर सकते हैं। बल्कि अंतर्मुखी का संबंध सिर्फ इस बात से है कि व्यक्ति स्वयं को कैसे सहज पाता है। तो चलिए आज विश्व अंतर्मुखी दिवस हम जानेंगे कि अंतर्मुखी किसे कहते हैं? और लोगों में अंतर्मुखी व्यक्ति को लेकर क्या-क्या गलत धारणाएं हैं?
अंतर्मुखी क्या है?
दरअसल इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। एक तो वह जो किसी से भी बात कर लेते हैं। जिन्हें घूमना, फिरना, दोस्त बनाना पसंद होता है। और दूसरे वह जो कम बोलते हैं, अकेले रहते हैं और अपनी बात बहुत कम या अपने किसी खास को ही बता पाते हैं। ऐसे लोगों को अंतर्मुखी कह सकते हैं।
अंतर्मुखी व्यक्ति को लेकर गलत धारणाएं :
ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि अंतर्मुखी व्यक्ति शर्मीले स्वभाव के होते हैं, लेकिन यह सच नहीं है। शर्मीलापन और अंतमुर्खी अलग व्यक्तित्व है। सच ये है कि ये लोग बिना कारण के बात करना पसंद नहीं करते है।
कई लोग यह सोचते हैं कि अंतर्मुखी व्यक्ति किसी से बात करना पसंद नहीं करते हैं जबकि सच यह है कि ऐसे लोग अपनी रुचि की बात करना ज्यादा पसंद करते हैं।
कई लोगों की धारणा है कि अंतर्मुखी व्यक्ति सामाजिक गतिविधियों से दूर रहते हैं। बता दें कि अंतर्मुखी व्यक्ति को भी सामाजिक गतिविधियों में भाग लेना उतना ही अच्छा लगता है, जितना किसी और को, लेकिन उनके उत्साह को अभिव्यक्त करने का तरीका अलग है।
लोगों का मानना होता है कि अंतर्मुखी व्यक्ति किसी से दोस्ती करना पसंद नही करते हैं जबकि असल में अंतर्मुखी लोग किसी पर भी जल्दी विश्वास नहीं करते है।
कई लोगों को लगता है कि अंतर्मुखी व्यक्ति नकारात्मक होते हैं हालाँकि यह सच नहीं है।
कई लोग यह भी मानते हैं कि अंतर्मुखी व्यक्तित्व के लोग अधिक रचनात्मक होते हैं जबकि रचनात्मकता का अंतर्मुखी व बहिर्मुखी व्यक्तित्व से कोई संबंध नहीं है।
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