Prenuptial Agreement Raj Express
रिलेशनशिप्स एंड सेक्शूऐलिटी

भारत में अमान्‍य है Prenuptial Agreement, फिर क्‍यों जज ने इसे तलाक के लिए बताया जरूरी, जानें डिटेल में

भारत में प्रीनपच्युअल एग्रीमेंट को मान्‍यता नहीं दी गई है। यह एक ऐसा एग्रीमेंट है, जिसे शादी से पहले बनाया जाता है। इसकी मदद से कई चीजें स्‍पष्‍ट होती हैं, जिसके बाद आसानी से डिवोर्स मिल जाता है।

Deepti Gupta

हाइलाइट्स :

  • दिल्‍ली फैमिली कोर्ट के जज ने प्रीनपच्युअल एग्रीमेंट को बताया जरूरी।

  • भारत में इस एग्रीमेंट को मानते हैं अवैध।

  • एग्रीमेंट से कपल्‍स का लीगल सेपरेशन हो जाता है आसान।

  • कपल्‍स के बीच पैसे के महत्‍व को बढ़ा देता है एग्रीमेंट।

राज एक्सप्रेस। माना जाता है कि रिश्‍ते स्‍वर्ग में बनते हैं। शादी तय होने पर कपल्‍स भी यही मानते हैं। लेकिन एक समय ऐसा आता है, जब कपल्‍स एकदूसरे से ऊब जाते हैं। रिश्‍ते में दूरी और बोरियत के चलते वे एक दूसरे के साथ रहना भी पसंद नहीं करते। ऐसे में तलाक वह प्रक्रिया है, जो रिश्‍ते को खत्‍म करने की शुरुआत करती है। हालांकि, भारत में तलाक लेना इतना आसान नहीं होता। इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है। पिछले दिनों दिल्‍ली फैमिली कोर्ट के जज ने एक कपल को तलाक देते हुए कहा कि भारत में शादी से पहले प्रीनपच्युअल एग्रीमेंट को जरूरी किया जाए। इसे प्रीनअप एग्रीमेंट भी कहा जाता है। यदि शादी विफल हो जाती है, तो शादी से पहले हुए इस समझौते की मदद से कपल्स के बीच तलाक आसानी से हो जाता है। हालांकि भारत में इस तरह का कोई भी एग्रीमेंट होना अवैध है, लेकिन दुनिया के कई देशों में इसे मान्‍यता मिली है। तो चलिए जानते हैं, आखिर क्‍या होता है प्रीनपच्युअल एग्रीमेंट और क्‍या हैं इसके फायदे।

प्रीनपच्युअल एग्रीमेंट क्‍या है

प्रीनपच्युअल एग्रीमेंट के बारे में जानने के लिए हमने लॉ क्षेत्र से जुड़ी पीएचडी स्‍कॉलर प्रज्ञा गुप्‍ता से बात की। उन्‍होंने बताया कि प्रीनपच्युअल एग्रीमेंट पति-पत्‍नी के बीच एक कॉन्‍ट्रेक्‍ट है, जिस पर शादी से पहले साइन किया जाता है। अगर कभी शादी के बाद तलाक की नौबत आती है, तो प्रॉपर्टी के बंटवारे, बच्‍चों की कस्टडी किस के पास रहेगी, इन सब बातों में समय बर्बाद नहीं होता और तलाक मिलने में आसानी होती है। प्रीनपच्युअल एग्रीमेंट में शादी से पहले संपत्ति की पूरी जानकारी देना जरूरी होता है।

भारत में क्‍यों अवैध है प्रीनपच्‍युअल एग्रीमेंट

प्रज्ञा बताती हैं कि भारत में शादी को बहुत पवित्र माना जाता है। यहां अग्नि के सात फेरे लेने के बाद शादी संपन्‍न होती है। हिंदू मैरिज एक्‍ट 1955 के तहत , शादी कोई कॉन्‍ट्रेक्‍ट नहीं है, बल्कि पवित्र बंधन है। इसलिए यहां पर यह अमान्‍य है।

प्रेनअप के फायदे

भारत में इतना कॉमन न होने के बाद भी प्रेनअप के अपने फायदे हैं।

  • यह तलाक और अलगाव के मामलों में दोनों पक्षों को कोर्ट में सुनवाई की तारीखों के साथ संघर्ष करने, एक-दूसरे को दोष देने या फिर गुजारा भत्ता के रूप में कम भुगतान करने से बचाता है।

  • प्रेनअप एग्रीमेंट फाइनेंशियल ट्रांसपेरेंसी देता है। इससे किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी की संभावना नहीं रहती है।

  • कपल्स के लीगल सेपरेशन को आसान बनाता है।

  • यह दोनों पक्षकारों को वकीलों को ज्‍यादा फीस न देने में भी मदद करता है।

  • प्रेनअप एग्रीमेंट दोनों पक्षों को वित्तीय रूप से सुरक्षित बनाता है।

  • अगर माता-पिता तलाक का विकल्प चुनते हैं, तो प्रीनअप बच्चे को सुरक्षा प्रदान करता है।

  • एक प्रेनअप एग्रीमेंट वित्तीय रूप से दोनों पक्षों के भविष्य को सुरक्षित करता है।

  • यह एग्रीमेंट पार्टियों के बिजनेस को बांटने से रोकता है।

  • यह तब ज्‍यादा फायदेमंद है, जब आपके पार्टनर की दूसरी शादी हो और पहली शादी से बच्‍चे भी हों।

प्रीनपच्युअल एग्रीमेंट के नुकसान

  • प्रेनअप एग्रीमेंट यह घोषणा करता है कि शादी हमेशा के लिए नहीं टिकेगी।

  • प्रेनअप एग्रीमेंट शादी के बाद नकारात्मक परिस्थितियों में कपल्‍स को प्रभावित कर सकता है।

  • यह एग्रीमेंट शादी और समझ को मजबूत करने के बजाय, जोड़े के बीच पैसे के महत्व को बढ़ा सकता है।

  • इससे दोनों पक्षों की लाइफस्‍टाइल पर बुरा असर पड़ता है।

कैसे बनता है प्रीनपच्युअल एग्रीमेंट

प्रीनपच्युअल एग्रीमेंट बनाना बेहद आसान है। इस एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन नहीं होता है। कह सकते हैं कि ये कॉन्ट्रैक्ट एक्ट में शामिल नहीं होते। लेकिन कपल्‍स को इसे बनाते हुए सावधानी से काम लेना होता है। क्योंकि इसमें आपने जो जानकारी लिख दी, उसे तलाक के वक्त बदला नहीं जा सकता। ज़रूरी है कि इसे बनाते हुए दोनों पक्ष संपत्ति की सही जानकारी दें।

कब लागू होता है प्रेनअप एग्रीमेंट

  • जब दोनों पक्षों के इस पर साइन हों।

  • एग्रीमेंट दोनों की मर्जी से बनाया गया हो।

  • एग्रीमेंट को सर्टिफाइड किया जाना चाहिए।

  • एग्रीमेंट में ऐसी कोई जानकारी नहीं होनी चाहिए जो गलत या अमान्य हो।

  • एग्रीमेंट में वे सभी प्रावधान शामिल होने चाहिए, जिनके बारे में दोनों पक्षों को जानकारी हो और उन पर चर्चा की गई हो।

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