टीनएज बच्चों के जीवन का नाजुक दौर है।
पैरंट्स के लिए भी चुनौतीपूर्ण है टीनएजर के साथ एडजस्ट करना।
बच्चों से यौन व्यवहार और सेक्स को लेकर बात करें।
न्यूट्रिशन और हेल्दी फूड का महत्व सिखाएं।
राज एक्सप्रेस। टीनएज एक बच्चे के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय है। 13 वर्ष की उम्र तक आते-आते उनकी सोच, व्यवहार और स्थितियां सब कुछ बदल जाती हैं। कुल मिलाकर बच्चे इस वक्त बच्चा बहुत अलग दौर से गुजरता है। यह समय न केवल बच्चों के लिए बल्कि उनके माता-पिता के लिए भी चैलेंजिंग होता है। यहां पर बच्चे और माता-पिता के विचार और दृष्टिकोण टकरा सकते हैं। उन्हें भी समझ नहीं आता कि बच्चों के साथ कैसे डील करें। लेकिन यही मौका है, जब आप बच्चे के जीवन में अहम रोल निभा सकते हैं। इस वक्त बच्चे को इस बात का अहसास कराना जरूरी है कि आप उसके लिए कितने जरूरी हैं और उसकी हर समस्या को समझते हैं। इस वक्त आप अपने बच्चे से उन विषयों पर बात कर सकते हैं , जिसे लेकर वह हमेशा अजीब फील करते हैं। तो आइए हम आपको बताते हैं कि माता-पिता अपने टीनएजर बच्चे से क्या और कैसी बातचीत कर सकते हैं।
खुद से पूछें कि क्या आप इसके लिए तैयार हैं।
क्या बच्चों से इस बारे में बात करने की यह सही उम्र है।
क्या माता या पिता टीनएजर से इस बारे में बात कर सकते हैं।
क्या टीएनजर से बात करना वाकई इतना मुश्किल है।
किशोरावस्था वह समय होता है, जब दोस्त आपके टीनएजर की लाइफ में अहम भूमिका निभाते हैं। यह उनकी लाइफ के लिए अच्छे भी हो सकते हैं और खराब भी। इस दौर में आपके टीनएजर को नशीली दवाओं को लेने के लिए पीयर प्रेशर का सामना करना पड सकता है। यह उसे जोखिम भरे यौन व्यवहार की तरफ ले जाता है। ऐसे विषयों पर बात करने में संकोच न करें।
टीनएज में मन और शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। इसलिए बच्चों से शारीरिक परिवर्तनों, शारीरिक आकर्षण, छूने की संवेदनशीलता के बारे में बात करनी चाहिए। अगर आप किसी भी असुविधा का सामना करते हैं, तो बेहतर है कि एक पिता को बेटों से इस बारे में बात करने के लिए कहें।
मेंटल हेल्थ फिजिकल हेल्थ जितनी ही जरूरी है। अपने टीनएजर को स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी स्थितियों से अवगत कराएं। आजकल बच्चे वैसे भी बहुत जल्दी तनाव में आ जाते हैं। उन्हें बताएं कि तनाव लेना किसी समस्या का हल नहीं है। मजबूती से हर चीज का सामना कर ही सफलता मिलती है। उसे यकीन दिलाएं कि हर मुश्किल घड़ी में आप उसके साथ हैं ।
बच्चा जैसे-जैसे बढ़ा होता है, उसे मनी वैल्यू के बारे में बताना हर पैरेंट का फर्ज है। उसे पैसे बचाने और बजट बनाकर चलने के बारे में सिखाया जाना चाहिए। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि उन्हें पैसे का मूल्य और ख़राब फाइनेंस डिसीजन लेने के रिजल्ट के बारे में सिखाना जरूरी है।
हाई स्कूल में पहुंचने पर बच्चे पढ़ाई और स्कूल में बेस्ट परफॉर्मेंस देने का एक्स्ट्रा पेसर झेलते हैं। इस दौरान दोस्तों के साथ ग्रुपिंग करने का भी प्रेशर होता है। चूंकि आप एक टीनएज बच्चे के पैरेंट हैं, तो आपको अपने बच्चे को स्वस्थ तरीके से इन दबावों से निपटने में मदद करनी चाहिए।
टीनएज में बच्चे का अलग तरह से शारीरिक और मानसिक विकास होता है। इसलिए उन्हें पोषण और स्वस्थ खाने की आदतों के बारे में बताना जरूरी हो जाता है। बेहतर है कि आप बच्चे के साथ बैठकर खाना खाएं। ऐसा करने से आपको अपने टीनएजर के करीब आने में मदद मिलेगी। यह अच्छा मौका है जब आप अपने बच्चे के साथ खान-पान की अच्छी और स्वस्थ आदतें विकसित कर सकते हैं।
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