राज एक्सप्रेस। आज अगर आप किसी भी पैरेंट से पैरेंटिंग के सबसे बुरे दौर के बारे में पूछें, तो जवाब होगा टीनएज। सच है। यह उम्र बच्चे में एक बहुत बड़ा बदलाव लाती है। यह बच्चों के जीवन का संवेदनशील पड़ाव होता है। इस उम्र में बच्चों में न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी कई बदलाव आते हैं। जो बच्चे पहले कभी आज्ञाकारी थे, वे उज्जड हो जाते हैं, उनकी विनम्रता नफरत में बदल जाती है और बात करने की टोन में भी अंतर देखने को मिलता है। देखा जाए, तो यह पैरेंट्स और टीनएजर के बीच टकराव की एक अवधि होती है। जिसमें न तो माता-पिता बच्चे को समझ पाते हैं और न ही बच्चा माता-पिता को। यह हर परिवार के लिए उलझन का समय होता है, जब वो नहीं समझ पाते कि वे अपने टीनएज बच्चे के साथ कैसे ट्रीट करें। यहां हम ऐसे 5 तरीके बता रहे हैं, जिससे माता-पिता अपने टीनएज बच्चों के साथ होने वाले तनाव को कम कर सकते हैं।
कई माता-पिता खुद को उन चीजों के लिए भी तैयार कर लेते हैं, जो वास्तव में है ही नहीं। ऐसा वो दूसरे टीनएज बच्चों के अनुभवों को देखकर करते हैं। उन्हें डर रहता है कि कहीं उनके बच्चे के साथ भी ऐसा ही न हो, इसलिए वे पहले से उन परीस्थितियों के लिए खुद को रेडी रखते हैं और ज्यादा स्ट्रिक्ट हो जाते हैं। जिसका बच्चों पर बुरा असर पड़ता है और वे काफी अग्रेसिव हो जाते हैं।
बच्चे टीनएज में बहुत से अलग-अलग काम करते हैं। उनकी पसंद बदल जाती है और चीजों के प्रति उनका नजरिया भी। ऐसे में पैरेंट़स को उनके द्वारा किए हर काम को नामंजूर नहीं करना चाहिए। बेहतर है कि आप उनकी सुनें। इससे आप दोनों के बीच की बॉन्डिंग स्ट्रांग हो जाएगी।
बच्चे जब टीनएज में आते हैं, तो उन्हें स्वतंत्र रहना अच्छा लगता है। वे किसी नियमों में बंधकर नहीं रहना चाहते। उन्हें पार्टी में जाने से मना करने या उनके ड्रेसिंग को लेकर कोई नियम न बनाएं। इस उम्र में आपको उन्हें समझाने की जरूरत है न कि उन्हें आदेश देने की।
टीनएज में बदलाव के कारण बच्चों का आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है। ऐसे में उसके बदले हुए व्यवहार की तारीफ करनी चाहिए। वह कोई भी अच्छा काम करें, तो उन्हें शाबाशी दें। इससे उनका उत्साह बढ़ेगा।
माता-पिता के लिए बच्चे हमेशा छोटे ही रहते हैं, चाहे वे कितने भी बड़े क्यों न हो जाएं। लेकिन वे भूल जाते हैं, कि बच्चे जिस पड़ाव पर हैं, वहां वे हमेशा नई-नई चीजों को जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। इसलिए उनसे भूलकर भी यह अपेक्षा न करें, कि वे अनुभवहीन है। सच तो यह है कि वे पहले से ही सब जानते हैं।
पैरेंट़स और टीनएजर के बीच तनाव बढ़ने का मुख्य कारण असहमति भी है। पैरेंट़स के मन में डर बैठ जाता है कि बच्चा इस उम्र में कुछ गलत ही करेगा। ऐसे में वह उसकी हर चीज के लिए ना कह देते हैं। इससे माता-पिता और बच्चों के बीच होने वाला तनाव और बढ़ जाता है।
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