बेटों को भी सिखाएं घर के काम।
बेटाें को अपने हक के लिए बोलना सिखाएं।
लड़कों को आनी चाहिए कुकिंग।
महिलाओं का सम्मान करना सिखाना चाहिए।
राज एक्सप्रेस। हाल ही में एक वॉशिंग पाउडर के कमर्शियल एड ने जेंडर स्टीरियोटाइप पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। एड में एक महिला को अपने पति की मदद के बिना घर और ऑफिस का काम करते हुए दिखाया गया है। यह विज्ञापन हमें बताता है कि कैसे आज भी पेरेंट्स अपने बच्चों को लिंग के आधार पर काम करना सिखाते हैं। जिस तरह हम बचपन से लड़कियों को घर के हर काम अच्छे से करने की सीख देते हैं, लड़कों के लिए यह चीज जरूरी नहीं माना जाती। कहकर टाल दिया जाता है कि- वह लड़का है- क्या वह घर के काम करेगा। पर जमाना बदल गया है। जो बातें हम अपनी बेटियों को सिखाते हैं, वक्त आ गया है कि बेटों को भी इन चीजों को सीखने के लिए प्रोत्साहित करें। यहां 6 चीजें बताई गई हैं, जो हर माता-पिता को लड़कियों के साथ लड़कों को भी सिखानी चाहिए।
लड़कियों की तरह लड़कों को भी गुड और बैड टच के बीच अंतर सिखाया जाना चाहिए। क्योंकि भी यौन शोषण के शिकार होते हैं। लेकिन लड़की की तुलना में उन्हें इन मामलों में आवाज उठाने से डर लगता है। इसलिए अपने बेटों को बोलना सिखाएं। वह अपने अधिकारों की लड़ाई तभी लड़ सकता है , जब उसे बचपन से ही यौन शोषण के परिणामों के बारे में बताया गया हो।
बेटियों को तो बचपन से ही सबके सामने उठने-बैठने, चलने 'फिरने और बोलने का सलीका सिखाया जाता है। लेकिन क्या आप कभी बेटों को यह सिखाते हें। सही मायने में लड़कों को भी शिष्टाचार यानी एटिकेट्स सिखाने चाहिए। यह उसे एक बेहतर इंसान बनाता है।
क्या साफ सफाई करना बस लड़कियों का ही काम है। जी नहीं, बल्कि आज के समय में लड़को को भी घर के काम आने चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी मां की मदद कर सकें। बेटों को सिखांए कि जरूरत पड़ने पर उन्हें घर के काम करने से हिचकिचाना नहीं चाहिए। बल्कि यह तो एक स्पेशल स्किल है, जिसकी उन्हें नॉलेज होना जरूरी है।
भोजन हमारी जीवन का जरूरी हिस्सा है और भूख तो सभी को लगती है। इससे लड़का या लड़की का कोई लेना देना नहीं है। लड़कियों की तरह हर माता-पिता को अपने बेटों को भी कुकिंग की ट्रेनिंग देनी चाहिए।
आमतौर पर लड़कियों को कमजोर दिल माना जाता है, इसलिए उन्हें रोने से नहीं रोका जाता। लेकिन लड़का रोता नहीं है , यह कोरा मिथक है। रोना अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का तरीका है। अगर कोई लड़का रोएं , तो इसका मतलब यह नहीं कि उसकी मर्दांगी में कोई कमी है।लड़के अपनी भावनाओं को दबा कर रखते हैं क्योंकि उन्हें यह विश्वास दिलाया जाता है कि भावनाएं केवल लड़कियों के लिए होती हैं। पर आपको अपने बेटे को बताना चाहिए कि वह रो सकता है।
यह उनके जीवन की सबसे बड़ी सीख होगी। अगर दुनिया का हर इंसान महिलाओं का सम्मान करना सीख जाए, तो महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों में कमी आ सकती है। इसलिए बेटों को महिलाओं के साथ शिष्टाचार से पेश आने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
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