स्‍कूल में क्रश की बातें करते हैं 7 साल के बच्‍चे, तो क्‍या करें Raj Express
पेरेंटिंग एंड मदरहुड

स्‍कूल में क्रश की बातें करते हैं 7 साल के बच्‍चे, तो क्‍या करें

7-10 साल के बच्‍चों के लिए क्रश का मतलब अच्छी दोस्त से होता है। अगर अपने बच्चे को स्‍कूल क्रश की बातें करते सुन लेते हैं, तो क्‍या करना चाहिए, बता रही हैं एक्‍सपर्ट।

Deepti Gupta

हाइलाइट्स :

  • प्री स्‍कूल से शुरू हो सकता है क्रश का अनुभव।

  • बच्‍चा करे क्रश की बात, तो उससे बात करें।

  • बच्‍चों से कनेक्‍ट रहें।

  • केयरटेकर से दोस्‍त बनना जरूरी।

राज एक्सप्रेस। किसी पर क्रश होना काफी आम है। जब हमें कोई अच्‍छा लगता है, तो हमें उस पर क्रश हो जाता है। क्रश आमतौर पर एक तरफा होता है, जिसमें दूसरे व्‍यक्ति को पता नहीं होता, कि कोई उसे दिल ही दिल चाहता है। क्रश किसी को कहीं भी हो सकता है। जैसे स्‍कूल में, कॉलेज में, वर्कप्‍लेस पर या पड़ोस में रह रहे लड़का या लड़की से। लेकिन, अगर हम एक 7 साल के बच्‍चे को अपने स्‍कूल क्रेश के बारे में बात करते हुए सुनें, तो हमारा रिएक्‍शन कैसा होना चाहिए। कई पेरेंट्स यह सुनकर काफी भड़क जाते हैं और बच्‍चे को डांटने लगते हैं। कुछ तो बच्‍चे को वॉर्निंग तक दे देते हैं, कि आगे से ऐसा हुआ तो ठीक नहीं होगा। पैरेंटल कोच शिवानी ए कुदवा बताती हैं कि इतनी कम उम्र में बच्‍चे से प्‍यार की बातें सुनना अजीब लग सकता है। लेकिन आपको ओवर रिएक्‍ट नहीं करना चाहिए। जनरेशन बदल गई है, ऐसे में आपको अपनी मानसिकता को बदलना जरूरी है। 7 साल के बच्चे वास्तव में क्रश और बॉयफ्रेंड के बारे में बात कर रहे हैं। यहां बताया है कि इस स्थिति को आप कैसे डील कर सकते हैं।

स्वीकारें कि जनरेशन बदल गई है

कभी आप अपने बच्‍चे से उसके स्‍कूल क्रश के बारे में सुनें, तो सबसे पहले स्‍वीकार लें कि जनरेशन बदल गई है। ये गैजेट वाली जनरेशन है, जिसे कम उम्र में सभी चीजों का ज्ञान बहुत जल्‍दी हो गया है।

चुप न करें, बात करें

बच्‍चा ऐसी बात करे, तो उसे चुप ना कराएं। अगर आपको यह सब सुनकर अजीब लग रहा है, तो उनसे सीधी बात करें कि वे इस बारे में क्‍या सोचते हैं।

पढ़ाई की तरफ ध्‍यान भटकाएं

उन्‍हें समझाएं कि यह उम्र पढ़ाई की है। उन्‍हें एक्‍स्‍ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज पर ध्यान देना चाहिए। क्रश एक इमोशनल फीलिंग है, जिसे वह समय के साथ समझ जाएंगे।

दोस्‍ती और प्‍यार के बीच अंतर बताएं

एक पैरेंट होने के नाते बच्‍चे को बताना जरूरी है कि दोस्‍ती और प्‍यार के बीच बहुत अंतर होता है। ये उम्र दोस्‍त बनाने की है, रिलेशनशिप में रहने की नहीं। इस समय जितना हो सके, अच्‍छे और सच्‍चे दोस्‍त बनाएं।

बच्‍चों से कनेक्‍ट रहें

बढ़ती उम्र में बच्‍चों से कनेक्‍ट रहना उनकी लाइफ में चल रही एक्टिविटीज पर फोकस करने का अच्‍छा तरीका है। समय-समय पर उनके व्‍यवहार, एटीट्यूड और टोन में बदलाव पर गौर करें। कुछ भी अलग दिखाई दे, तो आप इस मामलें में हस्तक्षेप कर सकते हैं।

पैरेंट जरूर समझें ये बातें

  • समझें कि आपका बच्चा बड़ा हो रहा है।

  • उसके मन में अपने शरीर और विपरीत लिंग के बारे में सवाल हो सकते हैं।

  • वह भ्रमित है और अपना आत्मसम्मान बढ़ा रहा है।

  • समझना जरूरी है कि स्कूल में बच्चों का प्रभाव अलग-अलग होता है।

  • आपको सूचना का पहला स्रोत बनना चाहिए।

  • अपनी मानसिकता बदलें और केयरटेकर से उनके दोस्‍त बन जाएं।

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