दूसरे पैरेंट को लड़ता देख बच्‍चे के मन में आते हैं कैसे भाव Raj Express
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दूसरे पैरेंट को लड़ता देख बच्‍चे के मन में आते हैं कैसे भाव, जानें यहां

अगर आपका बच्‍चा कहे कि उसके दोस्‍त के पैरेंट अक्‍सर झगड़ते हैं, तो इसे इग्‍नोर न करें क्‍योंकि दूसरे पैरेंट को लड़ते या बहस करते देख बच्‍चों के मन में आपके प्रति भी गलत भावना पैदा हो सकती है।

Author : Deepti Gupta

हाइलाइट्स :

  • दूसरे पैरेंट के लड़ाई झगड़ों का बच्‍चाें पर पड़ता है बुरा असर।

  • बढ़ जाती है असुरक्षा की भावना।

  • झूठ बोलने लगते हैं।

  • अंतर करने लगते हैं बच्‍चे।

राज एक्सप्रेस। मेरी बेटी की ट्यूशन टीचर और उनके पति का अक्‍सर झगड़ा होता है। ऐसा अक्‍सर टीचर के पढ़ाते वक्‍त होता है। ऐसे कई बच्‍चे हैं, जिनके माता-पिता खुद कभी नहीं लड़ते, लेकिन दूसरे पैरेंट को लड़ते हुए देखते हैं। वो किसी दोस्‍त के पैरेंट हो सकते हैं या फिर फैमिली में उनके कोई रिश्‍तेदार। अक्‍सर बच्‍चे के पैरेंट उसकी शिकायत को इग्‍नोर कर देते हैं। लेकिन जब बच्‍चे के पैरेंट खुद झगड़ते हैं, तो उसके मन में उस लड़ाई की एक अलग छवि बन जाती है। क्‍योंकि उन्‍हाेंने इस स्थिति को पहले बदतर होते देखा है। अगर आपका बच्‍चा भी ऐसी किसी घटना के बारे में बात करे, तो इसे सीरियस लें। यहां बताया गया है कि दूसरे पैरेंट को लड़ता देख आपके बच्‍चे पर क्‍या असर पड़ता है।

बढ़ती है असुरक्षा की भावना

जब बच्‍चे किसी दूसरे पैरेंट को लड़ते देखते हैं, तो वह उस जगह जाने से डरते हैं। उनमें असुरक्षा की भावना पैदा होती है। ऐसे बच्‍चे जब कभी अपने पैरेंट को झगड़ते देख लें, तो वे बहुत जल्‍दी डर जाते हैं।

बदल जाती है पैरेंट की इमेज

बार बार दूसरे पैरेंट को लड़ते झगड़ते देख बच्‍चों की माता-पिता के प्रति छवि बदल जाती है। वे नहीं जानते कि हर माता-पिता का रिश्‍ता एक जैसा नहीं होता। अगर उसके माता-पिता कभी बहस भी करें, तो वह इसे दूसरे पैरेंट के झगड़े से जोड़कर देखता है। ऐसे बच्‍चे अक्‍सर कहते हैं कि आप भी उन पैरेंट जैसे ही हैं।

झूठ बोलते हैं

ऐसे बच्‍चे अपने माता-पिता से झूठ बोलना शुरू कर देते हैं। दरअसल, झूठ बोलकर बच्‍चे अपने घर में होने वाले झगड़ों से बचना चाहते हैं। यही चीज आगे चलकर उनकी आदत बन जाती है।

माता-पिता को खाेने का डर

बच्‍चे के माता-पिता उसे कितना भी प्‍यार करें, लेकिन कई बार टीवी सीरियल्‍स में माता-पिता के बीच होने वाला टकराव बच्‍चे को बेचैन कर देता है। उन्‍हें लगता है कि टीवी के बच्‍चों की तरह उनका भी अपने माता-पिता में से किसी एक का साथ छूट जाएगा। उनके मन में अपने पैरेंट को खाने का डर बना रहता है।

अंतर करने लगता है

ऐसी स्थितियों के बाद बच्‍चे पैरेंट के बीच अंतर करने लग जाते हैं। जब भी उसके पैरेंट बहस करें, तो वह यह आकलन करता है कि मां ज्‍यादा बहस करती हैं या पिता।

आपका बच्‍चा अक्‍सर टीवी में या फिर किसी दूसरे के घर में पैरेंट के बीच लड़ाई देखता है, तो उसे पैचअप के बारे में भी बताएं। ताकि उसके मन में खुद के पैरेंट्स को लेकर कोई गलतफहमी न रहे।

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