माता-पिता की गलती बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
दूसरों बच्चाें से अपने बच्चे की तुलना करना, माता-पिता की सबसे बड़ी गलती।
बच्चों की समस्या को इग्नोर करना, चाइल्ड हुड ट्रॉमा का कारण।
बच्चे पर हर वक्त चिल्लाने से उसका आत्मविश्वास कमजोर होता है।
राज एक्सप्रेस। इन दिनों हर कोई मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा है। खासतौर से टीनएजर्स। उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली कई वजह हैं, जिनमें से एक है उनका बचपन में हुआ पालन पोषण। उनके माता-पिता ने उनके साथ कैसा व्यवहार किया, इसका असर बच्चों में बड़े होने तक बना रहता है। जिसे चाइल्डहुड ट्रॉमा कहते हैं।
जिस तरह से माता-पिता अपने बच्चों का पालन-पोषण करते हैं , उसका उन पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है। अच्छे पालन-पोषण से बच्चे आत्मविश्वासी बनते हैं, तो बुरे पालन-पोषण वाले बच्चों को चाइल्डहुड ट्रॉमा से गुजरना पड़ता है। बहुत से माता-पिता बच्चों को संस्कारी व होशियार बनाने के चलते उन्हें डांटते हैं और मानसिक रूप से उन पर दबाव बनाते हैं। खास बात तो यह है कि उन्हें इस बात का अहसास तक नहीं होता कि वे बच्चों के साथ कुछ गलत कर रहे हैं। उनके इरादे बेशक सही हों, लेकिन उनकी गलत पैरेंटिंग स्टाइल उनके बच्चे को बहुत नुकसान पहुंचा सकती है। यहां 5 पैरेंटिंग गलतियां हैं, जो बचपन के आघात यानी चाइल्डहुड ट्रॉमा का कारण बन सकती हैं।
कई पैरेंट़स लगातार अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से करते हैं। उनको मोटिवेट करने के बजाय लगातार उनका आत्मविश्वास कमजोर करते रहते हैं। माता-पिता का यह रवैया बच्चों के दिमाग में घर कर जाता है और वे इसी सोच के साथ जीवन जीने लगते हैं। बडे होने के बाद भी वह इन बातों को भूल नहीं पाते। इससे बच्चों का आत्ममूल्य और आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है।
जब माता-पिता लड़ाई झगड़े में अपने बच्चों को शामिल करते हैं, तो यह उनके बचपन के आघात का कारण बनता है। बच्चे बुद्धिमान और सतर्क होते हैं। वे इस बात से बहुत परिचित हैं कि उनके माता-पिता क्या कर रहे हैं। माता-पिता का रिश्ता बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव डालता है। जब वे अपने माता-पिता को लगातार लड़ते हुए देखते हैं, तो वे यही सोचते हैं कि रिश्ते दर्द और संघर्ष से भरे होते हैं। ऐसे बच्चों को आगे चलकर रिश्तों को लेकर काफी संघर्ष करना पड़ता है।
जो माता-पिता अपने बच्चों से गलत शब्द कहते हैं, जैसे मैंने तुम्हें पढ़ाया है लिखाया है, तुम पर अपना समय और पैसा बर्बाद किया है। इस तरह की बातों से भी बच्चों के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। वह आगे चलकर कभी न कभी चाइल्ड हुड ट्रॉमा का शिकार हो जाते हैं।
जब बच्चे अपनी समस्याओं और जरूरतों को लेकर पैरेंट़स के पास आते हैं, तो वे उसे नजरअंदाज कर देते हैं। जब कोई भी पैरेंट अपने बच्चों की भावनात्मक जरूरतों की उपेक्षा करता है, तो यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
यह सबसे बड़ी गलती है, जो हर माता-पिता करते हैं। वे अपने बच्चों पर चिल्लाते हैं या उन्हें सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा करते हैं, तो उन्हें अहसास नहीं होता कि वे बच्चे का फायदे से ज्यादा नुकसान कर रहे होते हैं। ऐसा करने से बच्चा उनसे डरने लगेगा दूसरी ओर उसे शर्मिंदगी भी महसूस होगी।
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