टीनएज कर्फ्यू से बच्चे टाइम मैनेजमेंट सीखते हैं।
टीनएज कर्फ्यू बच्चे काे आपसे दूर कर सकता है।
बच्चों को रात 9:30 बजे तक ही घर के बाहर रहने की परमिशन दें।
बच्चों के बड़े होने पर कर्फ्यू का समय बदला जा सकता है।
राज एक्सप्रेस। माता-पिता के लिए टीनएजर्स के साथ डील करना काफी मुश्किल होता है। इस उम्र में बच्चे ज्यादा से ज्यादा फ्रीडम चाहते हैं। बच्चों की बढ़ती फ्रीडम और बदलते स्वभाव के चलते पेरेंट्स को उनकी चिंता होती है। खासतौर से उनके घर लौटने के समय को लेकर। इस उम्र में बच्चे ज्यादा से ज्यादा समय दोस्तों के साथ बाहर रहकर बिताना चाहते हैं। घर कब और किस समय लौटेंगे, उन्हें खुद भी पता नहीं होता। अगर आपका बच्चा भी स्कूल,कॉलेज के बाद पार्टियों में जाता है या दोस्तों के साथ घूमना पसंद करता है तो टीनएजर के लिए सही टाइम कर्फ्यू लगाना जरूरी है। यहां बताया गया है टीनएज कर्फ्यू के फायदे, नुकसान के बारे में।
टीन कर्फ्यू का मतलब एक निश्चित समय से है ताकि आपका टीनएज बच्चा समय पर घर वापस आ जाए, खासकर शाम और रात में। वैसे सोशलाइजेशन बढ़ते बच्चे के जीवन का एक अनिवार्य पहलू है, लेकिन यह भी जरूरी है कि वे सुरक्षित रहें और उन्हें पर्याप्त आराम मिले। कर्फ्यू आपके बच्चों को पर्याप्त मनोरंजन के साथ सही समय पर सुरक्षित घर आने की अनुमति देता है।
कर्फ्यू आपके टीनएजर को जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार करता है।
बच्चे सुरक्षित रहते हैं, खासकर रात के समय।
टीनएज कर्फ्यू से माता-पिता को मानसिक शांति मिलती है।
अगर आपका टीनएजर बच्चा ऐसे माहौल में है जहां वह सुरक्षित महसूस नहीं करता, तो कर्फ्यू उन्हें किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाए बिना वहां से बाहर निकलने का बहाना देता है।
कर्फ्यू उन्हें टाइम मैनजेमेंट सिखाता है।
टीनएजर्स पेरेंट्स के कंट्रोल से हर्ट हो सकते हैं।
बच्चे बुलिंग का सामना करते हैं।
माता-पिता से दूरी बना लेते हैं टीनएजर बच्चे।
टीनएजर्स के लिए कर्फ्यू लगाना आसान नहीं है,लेकिन यह समय कि डिमांड है। विशेषज्ञों के अनुसार, लगभग 13 -14 साल की उम्र में बच्चों पर समय की पाबंदी लगाना शुरू कर देना चाहिए। यह वही समय है, जब बच्चा देर तक अपने दोस्तों के साथ रहने की जिद करता है।
वैसे तो यह हर बच्चे की स्थिति पर निर्भर करता है। लेकिन गाइडलाइन के अनुसार, 14 या 15 साल के बच्चों के लिए रात 9:30 और 16-17 साल के बच्चों के लिए लगभग 10:30 का कर्फ्यू लगाना चाहिए। पर यह कदम तभी उठाएं जब बच्चा इसका पालन करने के लिए तैयार हो। जोर जबरदस्ती के साथ इस कर्फ्यू का कोई मतलब नहीं है।
कर्फ्यू लगाने से पहले सही समय चुनना जरूरी है।
अगर आपके राज्य में टीनएजर कर्फ्यू कानून और नियम हैं, तो आप उनके बारे में बच्चे को बता सकते हैं। उनके साथ इस टॉपिक पर बात करें और परेशानी से बचने के लिए उसे रूल्स फॉलो करने के लिए कहें।
14 से 17 वर्ष के बच्चों को आठ से दस घंटे की नींद की जरूरत होती है । यदि आपका बच्चा देर रात को घर आता है और अगले दिन उसे जल्दी स्कूल जाना है, तो वह पूरे दिन थका हुआ हो सकता है। इसे ध्यान में रखें।
कर्फ्यू लगाते वक्त बच्चे को आपकी एक्सपेक्टेशन के बारे में बताना जरूरी है। बताएं कि उन्हें आपको समय-समय पर अपने ठिकाने की जानकारी देनी होगी। यदि वे देर से आएंगे तो उन्हें कॉल करके आपको बताना होगा और उसका एक वैध कारण बताना होगा।
उन्हें पता होना चाहिए कि अगर उन्होंने कर्फ्यू तोड़ा तो इसके क्या परिणाम होंगे।
जैसे-जैसे बच्चे में मैच्योरिटी आती है, तो आप बाद में कर्फ्यू का समय एडजस्ट कर सकते हैं। इससे उन्हें पता चलता है कि आप उन पर भरोसा करते हैं, टीनएज कर्फ्यू बच्चों को सुरक्षित रखने और परेशानी से दूर रखने का एक उपयोगी तरीका है। हालांकि माता-पिता के लिए बच्चों पर कर्फ्यू लगाना चैलेंजिंग है, लेकिन इसके कई फायदे हैं। इसलिए इसे लगातार लागू करना चाहिए।
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