बुलिंग किए जाने वाले बच्चे कभी भी सुरक्षित महसूस नहीं करते।
बच्चे स्कूल जाने में हिचकिचाते हैं।
बुलिंग होने वाले बच्चों को मानसिक समस्या का सामना करना पड़ता है।
दोस्तों से बना लेते हैं दूरी।
राज एक्सप्रेस। पिछले दिनों पूर्व क्रिकेटर शोएब मलिक और सना जावेद की शादी चर्चा में रही। ये शोएब मलिक की तीसरी शादी थी। इस घोषणा के बाद सानिया मिर्जा के बेटे इजहान के दोस्त उसे चिढ़ा रहे हैं। स्कूल में उनके साथ हो रहे व्यवहार के कारण उन्हें भावनात्मक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसका नतीजा यह हुआ कि उसने स्कूल जाना बंद कर दिया । सानिया मिर्जा अपने बच्चे की मेंटल हेल्थ को लेकर काफी परेशान हैं। बता दें कि ऐसा सहने वाले इजहान मिर्जा अकेले बच्चे नहीं है। भारत में ऐसे कई बच्चे हैं, जिन्हें माता या पिता की दूसरी या तीसरी शादी का अंजाम इस रूप में भुगतना पड़ता है। अक्सर देखा जाता है कि स्कूल में जिन बच्चों की टांग खींची जाते हैं, वे इसे चुपचाप सहते हैं और कभी भी दोस्तों और माता-पिता के सामने इस बात को स्वीकार नहीं करते, जिसका उनकी मेंटल हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ता है। तो आइए जानते हैं बुलिंग कैसे आपके बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है।
बुलिंग का बच्चों के दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके कारण बच्चे तनाव, चिंता और अवसाद से जूझते हैं। अगर कोई उन्हें लगातार किसी बात को लेकर टांग खींच रहा है, तो उनका सेल्फ एस्टीम लो हो जाता है। इसके साथ ही वे साथियों से घिरे होने के बाद भी अकेलापन महसूस करते हैं और उनके मन में आत्मघाती विचार आने लगते हैं। जिन बच्चों के माता-पिता दूसरी या तीसरी शादी करते हैं, ऐसे माता-पिता को बच्चों के मन में गलत विचार आने का बहुत बुरा परिणाम भुगतना पड़ता है।
ऐसे बच्चे न केवल इमोशनली बल्कि अकेडमिक में भी अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाते। बुलिंग से जुड़ा डर और चिंता उनके सीखने की क्षमता को कम करता है। ऐसे बच्चे स्कूल जाना कम कर देते हैं, जिसका असर उनके एकेडमिक अचीवमेंट पर भी पड़ता है।
माता-पिता की एक गलती बच्चों को उनके फ्रेंड सर्कल से अलग कर देती है। ऐसे बच्चे चाहकर भी सार्थक रिश्ते नहीं बना पाते। बुलिंग या अपमानित होने का डर लगातार उनमें बना रहता है और इस डर से वे समाज में आना जाना और लोगों के बीच उठना बैठना बंद कर देते हैं। छोटे में न सही, लेकिन जैसे-जैसे बच्चों की उम्र बढ़ती है, उनका दूसरों पर भरोसा कम होने लगता है।
बच्चे का साधारण सी बातों पर बेतरतीब ढंग से रोना।
हर समय गुस्सा रहना और जल्दी गुस्सा हो जाना।
सामाजिक तौर पर खुद को अलग-थलग कर लेना।
खुद पर अफसोस करना ।
अचानक किसी खास जगह पर जाने से बचना, चाहे वह स्कूल हो या कॉलेज।
माता-पिता भले ही एक दूसरे से अलग रह रहे हों, लेकिन बच्चे को विश्वास होना चाहिए कि आप उससे बहुत प्यार करते हैं। इससे बच्चों को तलाक से निपटने में मदद मिलती है।
अलग होने के बाद पार्टनर से मिलें, तो बच्चों के सामने प्यार और सम्मान से पेश आएं।
बच्चे को समझाएं कि वे उनकी वजह से अलग नहीं हुए हैं।
जितना संभव हो, उनकी एक्टिविटी को जारी रखें।
ध्यान रखें, बचे अभी छोटे हैं और मैनेजिंग स्किल सीख रहे होते हैं। उन्हें अपनी सामाजिक दुनिया में आगे बढ़ने के लिए बड़ों की मदद की ज़रूरत है। यह अभी एक छोटी सी बात लग सकती है, लेकिन यह उनके मानसिक स्वास्थ्य को बड़े पैमाने पर बदल सकती है।
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