कड़क चाय भारतीयों की पहली पसंद।
बच्चों को चाय पिलाना सुरक्षित नहीं होता।
सर्दी खांसी में चाय बच्चों के लिए फायदेमंद।
चाय पीने से बच्चों में होती है आयरन की कमी।
राज एक्सप्रेस। चाय हम भारतीयों का सबसे पसंदीदा पेय है। ज्यादातर लोगों की सुबह तो चाय की चुस्की के साथ होती है। यह आपको ताजगी तो देती ही है साथ ही तनाव से भी छुटकारा दिलाती है। वैसे चाय पीने की आदत केवल बड़ों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कई घरों में बच्चों को भी चाय दी जाती है। कुछ पैरेंट़स ऐसे होते हैं, जिन्हें लगता है कि बच्चों को चाय देने से इम्यूनिटी मजबूत होती है, जिससे वह संक्रमण से बचे रहते हैं। आमतौर पर हम जो चाय घर में बनाते हैं उसमें कैफीन और रिफाइंड शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। जो शरीर के लिए नुकसानदायक है। पीडियाट्रिशियन डॉ.श्वेता आनंद कहती हैं कि बच्चों को चाय नहीं देनी चाहिए। दरअसल, चाय में टैनिन नामक कंपाउंड होता है, जो आयरन के अवशोषण को कम करता है। इससे बच्चों में एनीमिया की संभावना बढ़ जाती है। अगर आपके घर में भी बच्चे चाय पीने की जिदद करते हैं, तो यह आर्टिकल खास आपके लिए है। इसमें बताया गया है कि बच्चे को चाय देने की सही उम्र क्या है। इसके अलावा चाय पीने के फायदे, नुकसान और बच्चाें के लिए चाय बनाने का सही तरीका भी यहां बताया गया है।
चाय में कैफीन होता है, जो उनके विकसित होते अंगों के लिए नुकसानदायक है। इसके अलावा चाय मीठी भी होती है। इसका ज्यादा सेवन करने से बच्चों में कैविटी का खतरा बढ़ता है। चाय मूत्रवर्धक है, जिसे पीने के बाद बच्चे को बार-बार पेशाब आ सकती है।
ऐसी कोई स्टडी नहीं है, जिसमें बताया गया हो, कि बच्चे किस उम्र में चाय पीना शुरू कर सकते हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, बच्चों को चाय देते समय सावधान रहना चाहिए। क्योंकि 12 से 18 साल के बच्चे एक दो कप चाय के जरिए दिन भर में 100 मिग्री कैफीन का सेवन कर लेते हैं। लेकिन 12 से कम उम्र के बच्चाें के लिए कोई सेफ लिमिट नहीं होती। बच्चों को चाय देने से इसके साइड इफेक्ट के बारे में जरूर जान लें।
कभी-कभी कैफीन से भरपूर चाय पीने से बच्चों को कुछ तरह के फायदे हो सकते हैं। इसके सेवन से न केवल बच्चा रिलेक्स होता है, बल्कि शरीर में होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है। सर्दी और खांसी के इलाज में भी चाय बहुत बढ़िया असर दिखाती है।
चाय में पाया जाने वाला कैफीन बच्चे के ग्रोथ, डेवलपमेंट और स्लीपिंग साइकिल को प्रभावित करता है।
रोजाना चाय पीने से बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। CDC के अनुसार, 2019 में, 20 साल से कम उम्र के लगभग 244,000 बच्चों और टीनएजर्स को टाइप 1 डायबिटीज की शिकायत थी।
NCBI में छपी एक स्टडी के अनुसार, रेगुलर कैफीन लेने से बच्चों में मोटापा बढ़ सकता है।
कैफीन की ज्यादा मात्रा बच्चों में बेचैनी, चिड़चिड़ापन और घबराहट का कारण बनती है।
चाय में मौजूद कैफीन से शरीर में आयरन और कैल्शियम की कमी हो जाती है, जिससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।
अगर आप बच्चे को महीने में एक से दो बार चाय दे रहे हैं, तो उसे कुछ ऐसे बनाएं कि इससे बच्चे को कोई नुकसान न हो। बच्चों के लिए चाय बनाने के टिप्स यहां दिए गए हैं।
चाय बनाने के लिए कम चाय की पत्ती का उपयोग करें।
चाहें, तो टी बैग या चाय पत्ती को कुछ देर भिगोकर एकदम लाइट चाय बना सकते हैं।
गलती से चाय कड़क हो गई है, तो इसमें दूध नहीं बल्कि पानी डालें।
बच्चों को गर्म चाय देने के बजाय गुनगुनी चाय सर्व करें। यह उन्हें कई नुकसानों से बचाएगी।
वैसे तो चाय बच्चों के लिए अच्छी नहीं मानी जाती। लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू मेक्सिको हेल्थ सांइस की मानें, तो बच्चों को जड़ी बूटी और फलों की चाय देना सही चॉइस है। इसमें मौजूद गुण बच्चों में एंजायटी लेवल को कम करने के लिए जाने जाते हैं। वहीं अदरक की चाय दो साल से ज्यादा उम्र के बच्चे के लिए सुरक्षित है। बशर्ते इसे सही तरह से तैयार किया जाए और सही मात्रा में पिलाया जाए। यह बच्चों में मोशन सिकनेस, सूजन, खांसी जैसी छोटी मोटी समस्याओं के लिए फायदेमंद हो सकती है।
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