राज एक्सप्रेस। आज भारत वर्ष में विश्वकर्मा जयंती को बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। कहा जाता है कि इस दुनिया के जनक भले ही भगवान ब्रह्मा हैं, लेकिन इसे सुंदर रूप देने का काम भगवान विश्वकर्मा ने किया है। देवी-देवताओं के महलों से लेकर रथों और सजाने का नाम विश्वकर्मा के ही जिम्मे था। भगवान विश्वकर्मा ने वैसे तो कई निर्माण किए। लेकिन रावण की लंका से लेकर द्वारिका, रामसेतु पूल इनमें से प्रमुख हैं। चलिए जानते हैं इनके बारे में खास बातें।
बनाई सोने की लंका :
पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती के कहने पर भगवान शिव के द्वारा एक सुंदर महल बनवाया था। इस महल का निर्माण विश्वकर्मा और कुबेर ने सोने का उपयोग कर किया था। परन्तु एक दिन रावण ने गरीब ब्राह्मण का रूप धारण कर भगवान शिव से सोने की लंका दान में मांग ली। हालांकि भगवान को रावण के छल का अंदाजा था। लेकिन भगवान अपने भक्त को नाराज नहीं करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने लंका को दान कर दिया। लेकिन यह बात माता को पसंद नहीं आई और उन्होंने सोने की लंका के जलकर भस्म हो जाने का श्राप दिया। बाद में भगवान हनुमान ने अपनी पूँछ से लंका का दहन किया था।
भोलेनाथ का रथ :
भारतवर्ष के सबसे भयंकर युद्ध महाभारत के दौरान भगवान शिव अपने जिस रथ पर सवार होकर तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली के नगरों को मिटाने निकले थे, उसे भी विश्वकर्मा ने ही बनाया था। इस रथ में दायीं ओर सूर्य और बायीं तरफ चंद्रमा विराजमान थे।
द्वारिका का निर्माण :
श्रीमद्भागवत गीता के अंतर्गत बताया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारिका को भी भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाया था। इस नगरी में सभी घर, द्वार, रास्ते वास्तु को ध्यान में रखकर बनाए थे।
रामसेतु :
रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम के कहने पर विश्वकर्मा के वानर पुत्र नल ने रामसेतु पुल का निर्माण किया था।
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