राज एक्सप्रेस। आज शाम को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण होगा। भारत के ज्यादातर हिस्सों में सूर्यग्रहण दिखाई देगा। सूर्यग्रहण का सूतक सुबह चार बजे से शुरू हो चुका है। हिन्दू धर्म में भी सूर्य ग्रहण का खासा महत्व है। मान्यता है कि सूर्यग्रहण के समय कुछ खाना-पीना नहीं चाहिए। राजधानी दिल्ली में सूर्य ग्रहण शाम 4:28 मिनट से लेकर 5:42 मिनट तक रहेगा। तो चलिए आज हम जानेंगे कि सूर्य ग्रहण क्या होता है? और सूर्य ग्रहण कितने प्रकार का होता है?
सूर्य ग्रहण किसे कहते हैं?
वैज्ञानिक दृष्टी से सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। दरअसल पृथ्वी, सूर्य की परिक्रमा करती है, जबकि चांद, पृथ्वी की परिक्रमा करता है। ऐसे में जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो चंद्रमा के पीछे सूर्य का प्रतिबिंब कुछ समय के लिए ढक जाता है। इसी घटना को सूर्यग्रहण कहते हैं। सूर्यग्रहण तीन प्रकार का होता है।
पूर्ण सूर्य ग्रहण :
ऐसी स्थिति जिसमें चन्द्रमा पृथ्वी के करीब रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाए तो उसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं। पूर्ण सूर्य ग्रहण होने पर चन्द्रमा पूरी तरह से सूर्य की रोशनी को ढक लेता है, इससे सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती है।
आंशिक सूर्य ग्रहण :
जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच इस तरह से आ जाए कि वह सूर्य के एक हिस्से को ढंक ले जबकि एक हिस्सा दिखाई दे तो उस स्थिति को आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं। इस स्थिति में चन्द्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच तो होता है, लेकिन सूर्य और चंद्रमा सीधी लाइन में नहीं होते हैं। ऐसे में सूर्य के एक हिस्से की रोशनी पृथ्वी तक पहुचती रहती है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण :
ऐसी स्थिति जिसमें चन्द्रमा, पृथ्वी से दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाए तो उसे वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं। इस स्थिति में चन्द्रमा, सूर्य के मध्य भाग को ही ढंक पाता है। इससे धरती से देखने पर सूर्य किसी कंगन के जैसा दिखाई देता है।
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