जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त और पूजा विधि Syed Dabeer Hussain - RE
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जन्माष्टमी पर व्रत करने का है विशेष महत्व, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

जन्माष्टमी पर देशभर में लोग अपने घरों में भी भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करते हैं। इस बार जन्माष्टमी का त्यौहार 18 और 19 अगस्त मनाया जा रहा है।

Priyank Vyas

राज एक्सप्रेस। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। यही वजह है कि हर साल इस दिन देश और दुनिया में धूमधाम से कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है। खासकर वृंदावन, बरसाना, मथुरा और द्वारका में इस दिन विशेष आयोजन होते हैं। इस दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इसके अलावा देशभर में लोग अपने घरों में भी भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करते हैं। इस बार जन्माष्टमी का त्यौहार 18 और 19 अगस्त मनाया जा रहा है। ऐसे में हम जानेंगे कि जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कैसे करें? और पूजा करने का शुभ मुहूर्त क्या है?

शुभ मुहूर्त :

इस बार अष्टमी तिथि का प्रारंभ 18 अगस्त की रात 9 बजकर 21 मिनट पर हो रहा है और 19 अगस्त की रात 10 बजकर 59 मिनट पर इसका समापन होगा।

कैसे करें पूजा?

  • जन्माष्टमी पर सुबह उठकर स्नान करें और पूरे दिन भगवान श्रीकृष्ण के नाम का व्रत करें।

  • इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है।

  • सबसे पहले लड्डू गोपाल का दूध, दही, शहद, गंगाजल और जल से अभिषेक करें।

  • इसके बाद लड्डू गोपाल को नए वस्त्र पहनाए और फिर उनका मोर मुकुट, बांसुरी, वैजयंती माला, कुंडली, तुलसी दल, कुंडल से श्रृंगार करें।

  • इसके बाद उनके झूले को अच्छी तरह से सजाकर उसमे लड्डू गोपाल को बैठाएं और झुलाएं।

  • अब भगवान को माखन, मिश्री, लड्डू, धनिया पंजीरी, फल और दूसरी मिठाइयों का भोग लगाए।

  • रात 12 बजे के बाद भगवान की पूजा करें और उन्हें झूला झुलाएं।

  • पूजा के बाद भगवान की आरती करें और प्रसाद को भक्तों में बांट दें।

जन्माष्टमी पर व्रत का महत्व :

हिंदू धर्म के अनुसार भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली मानव अवतारों में से एक हैं। ऐसे में जन्माष्टमी पर व्रत करने से भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी होती है। इस दिन व्रत करने से अकाल मृत्यु से भी मुक्ति मिलती है।

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