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राखी के दिन से जुड़ी हैं कई पौराणिक कहानियां, श्रीकृष्ण ने भी रखी थी राखी की लाज

राखी के दिन का समूचे भारत वर्ष में बहुत महत्व है। इस दिन बहन अपने भाई को राखी बांधती है और भाई जीवनभर अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है। इस दिन से जुड़ी कई कहानियां हैं।

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। राखी का त्यौहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। जबकि रक्षा सूत्र के बंधने के साथ ही भाई अपनी बहन को जीवनभर उसका साथ निभाने और उसकी रक्षा करने का वचन देता है। रक्षाबंधन के दिन को सावन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस पवित्र दिन को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। चलिए आपको उनमें से कुछ बताते हैं।

श्रीकृष्ण और द्रौपदी :

बात उस समय की बताई जाती है जब श्रीकृष्ण ने इंद्रप्रस्थ में शिशुपाल को मारने के लिए सुदर्शन चक्र चलाया था। लेकिन इस चक्र के चलने से खुद श्रीकृष्ण की ऊँगली भी कट गई थी और उस जगह से काफी खून बहना शुरू हो गया था। जिसे देखकर द्रोपदी ने अपनी साड़ी के पल्लू को फाड़ा और तुरंत ही श्रीकृष्ण की ऊँगली पर बांध दिया। इस दिन सावन महीने की पूर्णिमा का दिन था। जिसके बाद श्रीकृष्ण खुश हुए और उन्होंने द्रौपदी को वचन दिया कि वे सदैव उनकी रक्षा करेंगे। श्रीकृष्ण ने यह वचन द्रौपदी के चीर हरण के समय चीर देकर उसकी लाज बचाकर निभाया।

श्रीकृष्ण और सैनिक :

यह कथा महाभारत के समय की है जब महाभारत का युद्ध शुरू हो चला था। इस दौरान युधिष्ठिर युद्ध के लिए आगे बढ़ रहे थे, लेकिन उन्हें इस बात की चिंता भी थी युद्ध में क्या होगा। इस दौरान श्रीकृष्ण ने सुझाव देते हुए सभी सैनिकों के हाथ पर राखी को रक्षा सूत्र के रूप में बंधवाया। इस युद्ध में भी उन्हें सफलता मिली।

सिकन्दर और पुरु :

बात उस समय की है जब सिकंदर और हिंदू पुत्र पुरु के बीच युद्ध चल रहा था। इस दौरान सिकंदर की पत्नी ने पुरु को राखी बांधकर अपना भाई बनाया। इसके साथ ही उन्होंने पुरु से यह वचन लिया कि वे सिकंदर को नहीं मारेंगे। जिसके बदले में पुरु ने भी अपना वचन निभाया।

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