राज एक्सप्रेस। भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक रामेश्वर ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यहां हर साल भगवान शिव के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। देश के साथ विदेशों से भी यहां आने वाले लोगों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर की एक खासियत इसका गलियारा भी है। जिसे दुनिया का सबसे बड़ा गलियारा माना जाता है। आज हम आपको रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना और इसके सुंदर रास्ते के बारे में बता रहे हैं।
कैसे हुई रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना?
मान्यता है कि जब श्री राम, माता सीता को रावण की कैद से छुड़ाने के लिए लंका जा रहे थे। तब उन्हें राह में प्यास लगी। लेकिन पानी पीने से पहले उन्हें याद आया कि उन्होंने भगवान शिव के दर्शन नहीं किए हैं। तब श्री राम ने विजय पाने के लिए वहीँ एक बालू का शिवलिंग बनाया और उसका पूजन किया। वे यह भी जानते थे कि रावण सबसे बड़ा शिवभक्त है और उसे युद्ध में हराना मुश्किल है। इसलिए उन्होंने सभी के साथ मिलकर भगवान शिव की आराधना करना शुरू कर दिया। तब भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होकर वहां आए तो श्री राम को विजय होने का आशीर्वाद दिया। तब श्री राम ने भगवान शिव को शिवलिंग के रूप में सदा वहीँ रहने के लिए कहा और भोलेनाथ ने इस बात को स्वीकार कर लिया।
रोमांचक है यहां पहुंचतने का रास्ता :
यहां जाने के लिए समुद्र के बीच में से ट्रेन से जाना पड़ता है। यह रास्ता बेहद सुंदर और ट्रेन से आसपास का नजारा बहुत रोमांचक और सुंदर दिखाई देता है। इसके अलावा सड़क से यहां पहुंचने के लिए एक पुल का भी निर्माण किया गया है।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।