क्यों मनाया जाता है पोंगल पर्व Syed Dabeer Hussain - RE
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क्यों मनाया जाता है पोंगल पर्व? जानिए चार दिन चलने वाले इस पर्व के बारे में

हर साल पोंगल मनाने के पीछे कई पौराणिक परम्पराएं जुड़ी हुई हैं। प्रकृति को समर्पित इस पर्व को फसलों की कटाई के बाद मनाया जाना शुभ कहा जाता है।

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला पोंगल एक प्रमुख पर्व होता है। इस दिन भगवान सूर्य को गुड़ और चावल उबालकर प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस प्रसाद को ही पोंगल कहा जाता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है और इस दौरान चार पोंगल होते हैं। इस दिन को मनाए जाने के पीछे कई पौराणिक परम्पराएं जुड़ी हुई हैं। प्रकृति को समर्पित इस पर्व को फसलों की कटाई के बाद मनाया जाना शुभ कहा जाता है। आइए आज इस पर्व पर आपको चारों पोंगल के बारे में बताते हैं।

भोंगी पोंगल :

पहले दिन इंद्रदेव की पूजा की जाती है। उनकी आराधना के साथ अच्छी वर्षा एवं फसल होने की कामना की जाती है।

सूर्य पोंगल :

दूसरे दिन सूर्य देव की पूजा की मान्यता है। इस दिन नए बर्तन में चावल, मूंग दाल और गुड़ को केले के पत्ते पर रखकर सूर्य की पूजा होती है। इसके प्रसाद को भी सूर्य रोशनी में ही बनाते हैं।

मट्टू पोंगल :

तीसरे दिन भगवान शिव के बैल यानि नंदी की पूजा होती है। मान्यता है कि नंदी से एक बार कोई भूल हो गई थी, जिसके बाद शिवजी ने नंदी से धरती पर जाकर लोगों की सहायता करने के लिए कहा था।

कन्या पोंगल :

चौथे दिन को कन्या पोंगल के रूप में मनाते हुए काली माता के मंदिर में पूजा अर्चना की जाती है। इस पूजा की विशेषता है कि इसमें केवल महिलाऐं भाग लेती हैं।

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