राज एक्सप्रेस। देशभर में नवरात्रि की धूम देखते ही बन रही है। हर दिन माता शक्ति के एक नए स्वरूप की पूजा की जा रही है। आज नवरात्रि के आखिरी दिन माता के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा और अर्चना की जाती है। माता को सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाली कहा जाता है। कहते हैं कि यदि कोई सच्ची श्रद्धा और मन से माता की पूजा करता है तो उसे अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, और वशित्व नामक आठ सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं। चलिए जानते हैं माता सिद्धिदात्री के बारे में।
माता का स्वरूप :
सिद्धि देने वाली माता के चार हाथ हैं और वे कमल के फूल पर विराजमान हैं। माता का वाहन शेर है। उनके नीचे वाले दायें हाथ में चक्र और ऊपर वाले हाथ में गदा है। जबकि निचले बायें हाथ में कमल का फूल और ऊपर वाले हाथ में शंख है। माता की विशेष पूजा सिद्धि प्राप्ति के लिए की जाती है।
माता का मंत्र :
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
शक्तिपीठ की महिमा :
जब भगवान शिव सती के मृत शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने उनका क्रोध शांत करने के लिए सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े कर दिए थे। सती के शरीर के अंग और आभूषण जहां भी गिरे, वहां शक्तिपीठ बन गए।
सर्वशैल स्थान :
आंध्रप्रदेश के राजामुंद्री क्षेत्र स्थित गोदावरी नदी के तट पर कोटिलिंगेश्वर मंदिर के समीप माता के गाल गिरे थे।
गोदावरीतीर :
इस जगह पर माता के दक्षिण गंड गिरे थे।
रत्नावली :
बंगाल के हुगली जिले के खानाकुल-कृष्णानगर मार्ग पर रत्नावली स्थित रत्नाकर नदी के तट पर माता का दायां स्कंध गिरा था।
मिथिला :
भारत और नेपाल सीमा पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के समीप मिथिला में माता का बायां स्कंध गिरा था।
नलहाटी :
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के नलहाटि स्टेशन के समीप नलहाटी में माता के पैर की हड्डी गिरी थी।
कर्णाट :
इस अज्ञात जगह पर माता के दोनों कान गिरे थे।
वक्रेश्वर :
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के दुबराजपुर स्टेशन के समीप वक्रेश्वर में पापहर नदी के तट पर माता का मन: गिरा था।
यशोर :
बांग्लादेश के खुलना जिला के ईश्वरीपुर के यशोर स्थान पर माता के हाथ और पैर गिरे थे।
अट्टाहास :
पश्चिम बंगला के लाभपुर स्टेशन से दो किमी दूर अट्टहास स्थान पर माता के ओष्ठ गिरे थे।
नंदीपूर :
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के सैंथिया रेलवे स्टेशन नंदीपुर स्थित चारदीवारी में बरगद के वृक्ष के समीप माता का गले का हार गिरा था।
लंका :
श्रीलंका में संभवत: त्रिंकोमाली में माता की पायल गिरी थी।
विराट :
विराट में माता के पैर की ऊँगली गिरी थी।
मगध :
मगध में माता के दायें पैर की जंघा गिरी थी।
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