नवरात्रि का आठवां दिन Social Media
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आठवें दिन होती है माता महागौरी की पूजा, साथ में जानिए क्या है शक्तिपीठ की महिमा?

नवरात्रि के आठवें दिन माता के महागौरी स्वरूप की पूजा और अर्चना की जाती है। सच्चे मन से माता की आराधना करने वालों को शुभ फल की प्राप्ति होती है।

Priyank Vyas

राज एक्सप्रेस। देशभर में शारदीय नवरात्रि को धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। नवरात्रि के इन नौ दिनों में माता के अलग-अलग अवतारों की पूजा की जाती है। आज नवरात्रि के आठवें दिन के अवसर पर माता शक्ति के आठवें स्वरूप माता महागौरी की पूजा और अर्चना की जाती है। माता का सच्चे मन से किया गया पूजन शुभ फल देने वाला माना गया है। शास्त्रों के अनुसार माता ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए हजारों सालों तक कठिन तपस्या की, जिसके चलते उनका रंग काला हो गया,लेकिन भोलेनाथ ने गंगा जल से उनका रंग फिर गौर किया। जानते हैं माता महागौरी के रूप और शक्तिपीठ के बारे में।

माता का रूप :

माता महागौरी का रंग और वस्त्र सफेद रंग के हैं। इनका वाहन बैल है और माता के चार हाथ हैं। ऊपर वाला दायां हाथ अभयमुद्रा लिए है, नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। ऊपर वाले बायें हाथ में डमरू है और नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है।

माता का मंत्र :

श्वेते वृषे समारूढ़ा, श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यात्, महादेवप्रमोददाद।।

शक्तिपीठ की महिमा :

जब भगवान शिव सती के मृत शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने उनका क्रोध शांत करने के लिए सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को टुकड़े कर दिए थे। सती के शरीर के अंग और आभूषण जहां भी गिरे, वहां शक्तिपीठ बन गए।

शोणदेश :

मध्यप्रदेश के शोणदेश स्थान पर माता का दायां नितंब गिरा था।

शिवानी :

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर माता का दायां वक्ष गिरा था।

वृंदावन :

वृंदावन के भूतेश्वर स्थान पर माता के गुच्छ और चूड़ामणि गिरे थे। इसकी शक्ति है उमा और भैरव को भूतेश कहते हैं।

नारायणी :

कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग पर शुचितीर्थम शिव मंदिर है यहाँ माता के ऊपर के दांत गिरे थे।

वाराही :

पंचसागर में माता के निचले दांत गिरे थे।

अपर्णा :

बांग्लादेश के भवानीपुर गांव के समीप करतोया तट पर माता की पायल गिरी थी।

श्रीसुंदरी :

लद्दाख के पर्वत पर माता के दायें पैर की पायल गिरी थी।

कपालिनी :

पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर के समीप तामलुक स्थित विभाष स्थान पर माता की बायीं एड़ी गिरी थी।

चंद्रभागा :

गुजरात के जूनागढ़ प्रभास क्षेत्र में माता का उदर गिरा था।

अवंती :

उज्जैन नगर में शिप्रा नदी के तट के पास भैरव पर्वत पर माता के ओष्ठ गिरे थे।

भ्रामरी :

महाराष्ट्र के नासिक नगर स्थित गोदावरी नदी घाटी स्थित जनस्थान पर माता की ठोड़ी गिरी थी।

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