राज एक्सप्रेस। हिंदू धर्म से जुड़े लोगों के लिए मकर संक्रांति का त्यौहार प्रमुख है। इस दिन भगवान सूर्य की आराधना की जाती है। वेदों के अनुसार मकर का अर्थ होता है राशि और संक्रांति का अर्थ है सूर्य का एक राशि से दूसरी दूसरी राशि में जाना। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान सूर्य मकर राशि में संचरण करते हैं, तब मकर संक्रांति का त्यौहार देश भर में मनाया जाता है।ऐसी मान्यता है कि सूर्यदेव के राशि परिवर्तन किए जाने से ही साल में 12 संक्रांति आती हैं। तो चलिए जानते हैं मकर संक्रांति से जुड़ी खास बातें।
मकर संक्रांति :
सूर्य देव को समर्पित इस दिन को फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक भी माना गया है। इसी कारण मकर संक्रांति को फसल उत्सव भी कहा जाता है। इस दौरान सूर्य दक्षिण या दक्षिणायन से उत्तरायण या उत्तरी गोलार्ध में चला जाता है, जिसे शुभ संकेत माना गया है।
मकर संक्रांति के नाम और परम्परा :
गुजरात में मकर संक्राति को उत्ररायण के नाम से मनाया जाता है। जबकि राजस्थान, बिहार और झारखंड में संक्रांति को सकरात कहते हैं। तमिलनाडू में यह पोंगल जबकि आंधप्रदेश, कर्नाटक और केरला में मकर संक्राति के नाम से मनाया जाता है। इसके अलावा उत्तरप्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से जानते हैं। हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में इस त्यौहार को मगही नाम से जाना जाता है।
नामों के अलावा मकर संक्रांति को सभी राज्यों में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। कुछ जगहों पर सुबह के साथ पवित्र नदियों में स्नान किए जाने की परम्परा है। तो वहीँ कुछ जगहों पर पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है,इसके अलावा कई राज्य इस दिन को फसल कटाई की शुरुआत के लिए उपयोक्त मानते हैं।
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