राज एक्सप्रेस। हर साल में आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है। आज यानि 3 जुलाई को देशभर में गुरु पूर्णिमा मनाई जा रही है। हिंदू धर्म के अनुसार यह माना जाता है कि आज के दिन ही महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। यही कारण है कि गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। महर्षि वेदव्यास ने पवित्र महाभारत और श्रीमद्भागवत गीता के साथ ही वेदों का संकलन भी किया है। गुरु पूर्णिमा का यह दिन गुरु को समर्पित होता है। इस दिन अपने गुरु के प्रति आस्था और प्रेम प्रकट किया जाता है, और उनसे उज्जवल भविष्य के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। चलिए जानते हैं गुरु पूर्णिमा के महत्व और शुभ पूजा मुहूर्त के बारे में।
गौरतलब है कि शास्त्रों में गुरु को सबसे बड़ा स्थान दिया गया है। गुरु को भगवान से भी ऊपर रखने का कारण है गुरु का ज्ञान। गुरु वे हैं जो अपने ज्ञान से सभी के जीवन को रोशन करते हैं। गुरु हमें अच्छे-बुरे, सत्य-असत्य आदि से परिचित करवाते हैं। गुरु से हमें आगे बढ़ने की सीख, सुखी जीवन, सफलता आदि का ज्ञान मिलता है। ऐसे में इस खास दिन पर गुरु की पूजा कर उनका आभार व्यक्त किया जाता है।
गुरु पूर्णिमा पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 12.16 बजे से 1.09 बजे तक रहने वाला है। इसके बाद विजय मुहूर्त दोपहर 2.55 बजे से 3.48 मिनट तक रहेगा। इसके बाद शाम 7.19 बजे से 7.41 बजे तक भी शुभ मुहूर्त रहेगा। आप सुबह 4.08 बजे से 5.34 बजे तक भी पूजा कर सकते हैं।
ध्यान रहे कि सुबह 7.30 बजे से 9 बजे तक पूजन कार्य ना करें, क्योंकि यह राहुकाल है। इसके अलावा यमगंड सुबह 10.30 बजे से 12 बजे तक, गुलिक काल 1.30 बजे से 3 बजे तक और दुर्मुहूर्त काल दोपहर 1.09 बजे से 2.02 बजे तक रहने वाला है।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।