भगवान शिव को कहते हैं रूद्र।
ॐ नमो भगवते रुद्राय का जाप करें।
वित्तीय खतरों से बचाती है ये पूजा।
शिवरात्रि पर रुद्राभिषेक करने से पुण्य मिलता है।
राज एक्सप्रेस। महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अवसर है। उन्हें प्यार से 'शिवजी', 'भोलेनाथ', 'महेश्वर, 'रुद्रदेव' आदि नामों से भी बुलाया जाता है। आपने देखा होगा कि कई भक्त महाशिवरात्रि के अवसर पर घर और मंदिरों में रुद्राभिषेक कराते हैं। रुद्राभिषेक सबसे लोकप्रिय वैदिक हिंदू अनुष्ठानों में से एक है जो देवों के देव भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। यह पूजा भगवान शिव के सबसे लोकप्रिय रुद्र रूपों में से एक की पूजा करने के लिए की जाती है। रुद्राभिषेक पूजा में भगवान शिव के 108 नामों का जाप किया जाता है। सबसे जरूरी बात कि यह पूजा वैदिक शास्त्रों के अनुसार होती है। अगर आप भी महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक कराने जा रहे हैं, तो यहां इसका महत्व, मंत्र, फायदे और पूजा विधि बताई गई है।
रुद्राभिषेक मंत्र का जाप भगवान शिव की कृपा पाने के लिए होता है। इस मंत्र को रुद्र मंत्र के नाम से भी जाना जाता है। शिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक के दौरान लोगों को ॐ नमो भगवते रुद्राय का जाप करना चाहिए। इसके अलावा "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥" का जाप भी कर सकते हैं।
अगर कोई व्यक्ति जीवन में बुरी शक्तियों या खतरों से छुटकारा पाना चाहता है, तो उसे रुद्राभिषेक जरूर करना चाहिए।
सुख समृद्धि पाने के लिए भी ये पूजा की जाती है।
बिजनेस में सफलता और रिश्तों में मधुरता लाने के लिए रुद्राभिषेक किया जा सकता है।
यह पूजा उस व्यक्ति के लिए भी फायदेमंद है, जो काफी समस्या से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा है।
इसके अलावा, घर में शांति चाहने वाला कोई भी व्यक्ति यह पूजा कर सकता है।
मान्यता है कि रुद्राभिषेक करने से बुराई से आपकी रक्षा होती है।
यह पूजा व्यक्ति को वित्तीय खतरों से बचाती है।
रुद्राभिषेक अनुष्ठान करियर और नौकरी में सफलता पाने में भी सहायक है।
यह पूजा किसी भी बुरी ताकत को आपके ऊपर हावी नहीं होने देती।
इसके अलावा, यह पूजा कई ग्रह दोषों को दूर करने का अंतिम उपाय है।
वैसे तो सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करना काफी शुभ माना जाता है। क्योंकि सप्ताह का यह दिन भगवान शिव का होता है। इसके अलावा, शिवरात्रि पर रुद्राभिषेक करने से भी बहुत पुण्य मिलता है। साथ ही गृह प्रवेश या जन्मदिन जैसे मौकों पर रुद्राभिषेक करना भी अच्छा होता है। रुद्राभिषेक के लिए सावन का बहुत महत्व है।
आमतौर पर रुद्राभिषेक 1 घंटे 30 मिनट का होता है।
अभिषेक की शुरुआत दूध, दही, मक्खन और शहद से लिंग को स्नान कराने से होती है।
फिर बेलपत्र, फूल और रुद्राक्ष से शिवलिंग का श्रृंगार किया जाता है।
स्वास्थ्य और उपचार के लिए बोले जाने वाले मंत्र को लघुन्यास कहते हैं। पुजारी लोग का पाठ करके रुद्राक्ष की माला से रुद्राभिषेक करते हैं।
इसके बाद सभी बुराइयों से रक्षा के लिए शिवोपासना मंत्र का जाप किया जाता है।
फिर भगवान शिव के 108 नामों का पाठ किया जाता है। यह अष्टोत्तर शतनामावली के नाम से भी लोकप्रिय है।
इसके बाद श्री रुद्रम का पाठ होता है, जो यजुर्वेद के अध्याय 16 और 18 का हिस्सा है। पूजा के दौरान सभी को शांत रहकर श्लोक और मंत्र सुनना होता है।
इसके अलावा, एक लय में श्री रुद्रम का जाप पूरे वातावरण को शुद्ध करता है और सभी पापों को मिटा देता है।
आखरी में आरती करें। रुद्राभिषेक के जल को किसी बर्तन में एकत्रित कर पूरे घर में इससे छिड़काव करें।
इस जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
राख या भस्म पाउडर
भांग
तेल
मक्खन
चंदन पाउडर
चीनी
शहद
पानी
दही
इन सामग्रियों को शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है और माना जाता है कि ये गर्म और उग्र भगवान शिव को शांत करती हैं। इसके अलावा, लोग पूजा के लिए कई सामग्रियों का उपयोग करते हैं जिनमें विभिन्न प्रकार के फल, फूल और भगवान शिव को प्रिय अन्य सभी चीजें शामिल हैं।
रुद्राभिषेक किसी मंदिर में या घर पर स्थापित शिवलिंग के सामने किया जा सकता है। इसके अलावा ध्यान रखें कि लिंग की योनि उत्तर की ओर हो और अनुष्ठान करने वाले का मुख पूर्व की तरफ हो।
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