गुरु नानक जयंती Syed। Dabeer Hussain - RE
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गुरु नानक जयंती : जानिए गुरु नानक ने मक्का में कैसे दी थी ‘ईश्वर सब जगह हैं’ की शिक्षा?

गुरु नानक जी ने अपने जीवन में लोगों को हमेशा धार्मिक और सामाजिक उपदेशों के जरिए सामाजिक एकता और प्रेम सद्भाव का पाठ पढ़ाया है।

Priyank Vyas

राज एक्सप्रेस। आज सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी की जयंती है। गुरु नानक जी को सिख धर्म का संस्थापक माना जाता है। मान्यता है कि कार्तिक मास की पूर्णिमा को गुरु नानक जी का जन्म हुआ था। यही कारण है कि सिख समुदाय इस दिन को गुरपुरब या प्रकाश पर्व के रूप में मनाता है। इस दिन सिख समुदाय के लोग जन-कीर्तन करते हैं और वाहे गुरु का जाप करते हैं। इसके अलावा गुरुद्वारों को सजाया जाता है। वहां कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। गुरु नानक जी ने अपने जीवन में लोगों को हमेशा धार्मिक और सामाजिक उपदेशों के जरिए सामाजिक एकता और प्रेम सद्भाव का जो पाठ पढ़ाया है। उनके जीवन के हर एक प्रसंग से हमें शिक्षा मिलती है। गुरु नानक जी के जीवन से जुड़ा ऐसा ही एक प्रसंग है जब उन्होंने अपने चमत्कार के जरिए यह संदेश दिया कि ईश्वर हर जगह हैं।

मक्का की यात्रा :
गुरु नानक जी ने अपने जीवन में हिंदू, जैन, बौद्ध धर्मों के तीर्थस्थलों की यात्रा भी की थी। एक बार वह हाजी का भेष धारण करके अपने शिष्यों के साथ मक्का की यात्रा करने के लिए भी गए थे। इस घटना का विवरण सिख धर्म की सबसे पवित्र ग्रंथ 'श्री गुरु ग्रंथ साहिब' में किया गया है। इसके अलावा जैन-उ-लबदीन की किताब 'तारीख अरब ख्वाजा' में भी गुरु नानक जी की मक्का यात्रा का जिक्र किया गया है।

मक्का की ओर पैर :
प्रसंग है कि मक्का की यात्रा के दौरान गुरु नानक जी और उनके शिष्य बीच में विश्राम करने के लिए हाजियों के लिए बनी एक आरामगाह में रुके थे। इस दौरान गुरु नानक जी मक्का की ओर पैर करके लेट गए। जब हाजियों की सेवा करने वाला एक खातिम ने गुरु नानक जी को ऐसा करते देखा तो वह गुस्सा हो गए। उसने गुरु जी बोला कि, ‘तुम मक्का की ओर पैर करके क्यों लेटे हो? तुम्हे पता नहीं है कि उधर खुदा है।’

ईश्वर हर जगह है :
कहा जाता है कि गुरु नानक जी ने खातिम की बात का जवाब देते हुए कहा कि, ‘मैं बहुत थका हुआ हूँ। तुम इन पैरों को उस तरफ कर दो जहां खुदा न हों।’ इसके बाद खातिम ने उनके पैर दूसरी तरफ घुमाए, लेकिन उसे उस दिशा में मक्का दिखने लगा। इसके बाद खातिम ने जिस-जिस दिशा में गुरु नानक जी के पैर घुमाएँ, उसे उस तरफ मक्का दिखाई देने लगा। आखिर में खातिम को समझ में आ गया कि ईश्वर हर जगह है, बस देखने वाली नजर चाहिए।

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