खुल गए है बद्रीनाथ धाम के कपाट Syed Dabeer Hussain - RE
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खुल गए है बद्रीनाथ धाम के कपाट, लेकिन जाने से पहले जान लें मंदिर से जुड़ी ये बातें

भगवान बद्रीनाथ मंदिर को हिन्दुओं के चार धामों में से एक प्रमुख धाम माना गया है। यही वजह है कि हर साल यहाँ आने वाले भक्तों का ताँता लग जाता है।

Priyank Vyas

राज एक्सप्रेस। काफी लंबे इंतजार के बाद आखिरकार एक बार फिर से भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं। श्रद्धालु कपाट खुलने का 6 महीने से इंतजार कर रहे थे। गौरतलब है कि हिंदू धर्म के लोगों के लिए बद्रीनाथ धाम काफी महत्व रखता है। हर किसी की यही कामना होती है कि वह जीवन में एक बार बद्रीनाथ धाम के दर्शन जरुर करे। भगवान बद्रीनाथ मंदिर को हिन्दुओं के चार धामों में से एक प्रमुख धाम माना गया है। यही वजह है कि हर साल यहाँ आने वाले भक्तों का ताँता लग जाता है। ऐसे में यदि आप भी भगवान बद्रीनाथ के दर्शन के लिए जाने का मन बना रहे हैं। तो इससे पहले आपको इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें जानना जरुरी हैं।

हमेशा जलता है दीया :

बद्रीनाथ मंदिर के समक्ष एक दीया जलता है। जिसके बारे में यह कहा जाता है कि यह दीया पूरे साल जलते रहता है और कभी बुझता नहीं है। यहाँ तक कि जब 6 महीने के लिए मंदिर के कपाट को बंद कर दिया जाता है, तब भी यह दीया जलता रहता है।

6 महीने के लिए खुलते हैं कपाट :

बद्रीनाथ धाम के कपाट को भक्तों के लिए साल में केवल 6 महीने के लिए खोला जाता है। जबकि बाकि के 6 महीने बर्फ़बारी होने के कारण मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान नारद जी यहाँ पूजा पाठ करते हैं।

शालिग्राम शिला से बनी है मूर्ति :

यह मान्यता है कि भगवान बद्रीनाथ की ध्यानमुद्रा मूर्ति को शालिग्राम शिला से बनाया गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस शिला को बौद्धों के द्वारा नादरकुंड में फेंक दिया गया था। लेकिन स्वामी शंकराचार्य ने इसे ढूंढ निकाला और इसकी स्थापना की थी। इस मूर्ति पर लगाया जाने वाला लेप खासतौर पर टिहरी के राजमहल की सुहागिनों के द्वारा निकला जाता है। इसके अलावा दीये के लिए तेल भी वे ही निकालती हैं।

बद्रीनाथ धाम की खासियत :

धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार बद्रीनाथ धाम के लिए यह लिखा गया है कि, 'बहुनि सन्ति तीर्थानि दिव्य भूमि रसातले। बद्री सदृश्य तीर्थं न भूतो न भविष्यतिः॥' इसका अर्थ है स्वर्ग, पृथ्वी और नर्क में बहुत सारे तीर्थ स्थान हैं। लेकिन इनमें बद्रीनाथ धाम जैसा ना कोई है, ना था और ना कभी होगा।

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