इंदौर, मध्यप्रदेश। शिव और शक्ति पुरूष और प्रकृति कहे गए हैं। मानव जन्म में ईश्वर को पाने हेतु कुंडलिनी रूपी अन्तस्थ शक्ति को जागृत करना आवश्यक है। शिव के आशीर्वाद से मां कुंडलिनी नाशवान व बेकार चीज़ों को जलाकर भस्म करती है और शाश्वत आत्मा को आलोकित करती है। रोग शोक बाधाएं नकारात्मकता ये सब भारी वस्तुएं, नीचे की ओर जाती हैं, लेकिन कुंडलिनी ऊपर की ओर उठती है, और ऊपर, और ऊपर, क्योंकि यह अग्नि की तरह है। जलते समय अग्नि कभी नीचे की तरफ नहीं जाती। यह हमेशा ऊपर की ओर जलती है।
कुंडलिनी भी अग्नि की तरह ही दिखती है और उसके भीतर अग्नि की क्षमता है। अग्नि में शुद्ध करने की क्षमता है, और जो भी चीज़ भस्म की जा सकती है, उस चीज को भस्म करने की क्षमता है। जिन चीजों को यह भस्म नहीं कर सकती, उन्हें यह शुद्ध करती है, और जो ज्वलनशील वस्तुएँ हैं उन्हें भस्म करती है, जो भस्म की जा सकती हैं।
सहजयोग की अनुभव सिद्ध ध्यान साधना के विषय में बताते हुए प्रवर्तक माताजी निर्मला देवी ने चेल्सम रोड लंदन के प्रवचन में स्पष्ट किया है कि कुंडलिनी के भीतर, अग्नि का यह गुण होने के कारण, कुंडलिनी वह सबकुछ भस्म कर देती है जो कुछ भी बेकार है। जिस प्रकार हम अपने घर की सभी बेकार चीजों को बगीचे में ले जाकर जलाकर भस्म कर देते हैं। अत: जब कुंडलिनी ऊपर उठती है, वह भी आपके अंदर की ऐसी सभी बेकार चीजों को भस्म कर देती है, आपकी सभी व्यर्थ की इच्छाओं को, आपके बेकार के विचारों को, सभी प्रकार की व्यर्थ की संचित भावनाओं व अहंकार को और इनके बीच की हर तरह की बेकार की चीजों को। सभी कुछ तेजी से भस्म किया जाता है, क्योंकि इन्हें भस्म किया जा सकता है, ये सब स्वभाव से शाश्वत नहीं हैं। वे प्राकृतिक रुप से शाश्वत नहीं हैं। वे वहां पर अस्थायी (क्षणभंगुर) है, उसे वह भस्म करती है, और इस प्रकार वह आत्मा को आलोकित करती है, क्योंकि आत्मा को किसी भी तरह से क्षति नहीं पहुंचाई जा सकती (क्योंकि आत्मा शाश्वत है)। लेकिन यह भस्म होना इतना सुंदर है कि वह सबकुछ जो बुरा है, जो रुकावट है, वह सब जो दूषित है, वह सब जो एक रोग है, उसे यह भस्म करती है और तंत्र को शीतल कर देती है।
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