हर साल 25 सितंबर को मनाया जाता है विश्व लंग दिवस।
प्रदूषण व धूम्रपान के कारण फेफड़े हो सकते हैं डैमेज।
योगासन से कम हो सकता है लंग इंफेक्शन का खतरा।
भुजंगासन लंग्स के लिए वेंटीलेटर का काम करता है।
राज एक्सप्रेस। हर साल 25 सितंबर को वर्ल्ड लंग डे मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों और इससे होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करना है। बता दें कि फेफड़े हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। जीवित रहने के लिए इनका स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। क्योंकि यह शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करते हैं, साथ ही इन्हीं की मदद से हमारी सांसे भी चलती हैं। इसलिए इनका ख्याल रखना बेहद जरूरी है।
हालांकि हमारे फेफड़े धूम्रपान, वायु प्रदूषण और श्वसन संक्रमण के कारण बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो मौत भी हो सकती है। अगर आप अपने फेफड़ों को किसी गंभीर बीमारी से बचाना चाहते हैं, तो इसका एकमात्र तरीका है योग। योग न केवल फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार करता है, बल्कि इन्हें मजबूत भी बनाता है। योग एक्सपर्ट डॉ. गौरव जैन ने यहां कुछ तरह के योग बताए हैं, जिन्हें नियमित रूप से करने से फेफड़े हमेशा स्वस्थ रह सकते हैं।
योग एक्सपर्ट के मुताबिक इसे कोबरा पोज भी कहते हैं। इसमें सिर को उठाना, छाती को उठाना, पेट के बल लेटने जैसे पोज भुजंगासन में किए जाते हैं। कोविड के समय जिन लोगों के लंग्स बहुत ज्यादा प्रभावित हुए थे, उनके लिए भुजंगासन ने वेंटीलेटर का काम किया था। यह फेफड़ों की नसों को खोलने में काफी कारगर है। इसे अस्थमा की समस्या को दूर करने के साथ इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। इस योग मुद्रा को करने के लिए पैरों को फैलाकर पेट के बल लेटें। अब हथेलियों को अपने कंधों के नीचे रखें और कोहनियों को अपने पास रखते हुए ऊपरी शरीर को ऊपर उठाएं। वापस नीचे आने से पहले कुछ देर इसी मुद्रा में रहें। इससे गहरी सांस छोड़ने और लेने में बहुत मदद मिलती है।
मत्स्यासन को फिश पोज के नाम से भी जाना जाता है। छाती की मांसपेशियों को स्ट्रेच करने वाला यह आसन लंग्स की हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद है। नियमित रूप से यह अभ्यास करने से फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम होता है। इसे करने के लिए अपने पैरों को सीधा करके अपनी पीठ के बल लेट जाएं। अब हथेलियों को अपने कूल्हों के नीचे रखें। छाती को ऊपर उठाएं, अपनी पीठ को झुकाएं और ऊपर की ओर देखते हुए अपने सिर के ऊपरी हिस्से को फर्श पर टिका लें। इससे लंग्स को स्पेस के साथ ठीक से सांस लेने में मदद मिलती है।
त्रिकोणासन यानी ट्रायंगल पोज। यह फेफड़ों को स्वस्थ रख रेस्पिरेटरी सिस्टम को मजबूत बनाता है। इस आसान को करने के लिए पैरों को फैलाकर खड़े हों। दाहिना पैर को दांयी ओर मोड़कर रखें। अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर फैलाएं। अब सांस लें और दायीं ओर झुकें। ध्यान रखें झुकते समय नजर सामने की ओर होनी चाहिए। अब अपने दाहिने हाथ को अपनी दाहिनी पिंडली तक और बाएं हाथ को ऊपर की ओर ले जाएं। वापस सीधी अवस्था में लौटें और दूसरी तरफ भी हाथ बदलकर यह अभ्यास करें। ऐसा कम से कम 20 बार करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार होगा।
प्राणायाम खासतौर से श्वास का ही योग होता है। सभी तरह के प्राणायाम लंग्स के लिए प्रभावशाली होते हैं। जैसे भस्त्रिका प्राणायाम में तेजी से सांस छोड़ना और तेजी से सांस भरना जैसी क्रिया लंग्स को मजबूत बनाती है। वहीं कपालभाति भी लंग्स के लिए असरदार योग है। इस योग के अभ्यास से रक्त में ऑक्सीजन के साथ ही फेफड़ों की क्षमता भी बढ़ती है। वहीं भ्रामरी और अनुलोम-विलोम करके भी सांस संबंधी समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकता है।
धनुषासन भी छाती को मजबूत बनाने के साथ फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाने का काम करता है। इसके लिए अपने पैरों को फैलाकर पेट के बल लेटें। घुटनों को मोड़ें और अपनी एड़ियों को पकड़ने के लिए पीछे जाएं और अपनी छाती को ऊपर उठाएं, जिससे धनुष जैसी आकृति बने। ऊपर की ओर देखें और गहरी सांसें लें।
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