World Chocolate Day : कुछ समय पहले तक मार्केट में चॉकलेट की गिनी चुनी वैरायटी ही मिलती थीं। मगर अब बाजार में एक से बढ़कर एक चॉकलेट देखने को मिल जाती है। व्हाइट चॉकलेट, मिल्क चॉकलेट, डार्क चॉकलेट , सेमी स्वीट चॉकलेट और भी कई। आमतौर पर लोग डॉर्क चॉकलेट ही ज्यादा खाते हैं। कहते हैं कि डार्क चॉकलेट दिल और दिमाग के लिए अच्छी है। लेकिन आज हम आपको इन सबसे बढ़कर चॉकलेट की एक और किस्म के बारे में बताने वाले हैं, जिसके बारे में आपने शायद ही पहले सुना हो। वो है Raw यानी “कच्ची” चॉकलेट।
आपके मन में सवाल जरूर होगा कि क्या चॉकलेट भी कच्ची होती है। बिल्कुल, बाजार में आपको कच्ची यानी रॉ चॉकलेट के अलग से पैकेट मिल जाएंगे साथ ही अब ये ऑनलाइन भी बिकने लगी है। स्वास्थ्य के लिहाज से इस चॉकलेट को बहुत ज्यादा फायदेमंद माना गया है। तो चलिए आज वर्ल्ड चॉकलेट डे पर हम आपको बताते हैं क्या है “रॉ चॉकलेट”, इसके फायदे और इसके उपयोग करने के तरीकों के बारे में।
रॉ यानी कच्ची चॉकलेट काकाओ है। इसमें कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। यह चॉकलेट का शुद्ध और असंसाधित रूप है। cacao को एंटीऑक्सीडेंट और मैग्नीशियम का बेहतरीन स्त्रोत माना जाता है। दिखने में यह एकदम डार्क चॉकलेट के टुकड़ों जैसी होती है, लेकिन स्वाद में काफी अंतर होता है। कोको बीन्स थियोब्रोमा कोको पेड़ों पर उगाए जाते हैं। फलियों को खोलकर बीज हटा दिए जाते हैं। इन्हें फर्मेंट करके और भूनकर या धूप में रखकर सुखाया जाता है। 1-2 सप्ताह में सुखाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कच्ची कोको बीन्स मिल जाती है।
अगर आपको ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम रहती है, तो घर में कच्ची चॉकलेट लाकर रख लीजिए। यह बढ़े हुए बीपी को कम करने के अलावा सर्कुलेशन में सुधार करती है। कोको में पाए जाने वाले फ्लेवनॉल्स , थियोब्रोमाइन न केवल ब्लड प्रेशर को कम कर सकते हैं, बल्कि ब्लड वेसेल्स के स्वास्थ्य को बढ़ावा देकर सर्कुलेशन में सुधार करते हैं।
Cleveland Clinic 2012 की एक स्टडी के मुताबिक कच्ची चॉकलेट आपके दिल को दुरुस्त रख सकती है। इसमें फ्लेवनॉइड और जरूरी मिनरल्स ब्लड प्रेशर को कम करके ब्लड फ्लो में सुधार करके एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। इसके अलावा आर्टरीज वॉल पर बनने वाले प्लाग को कम करके दिल को स्वस्थ रखते हैं।
बेशक अपने दिल को स्वस्थ रखने के लिए डार्क चॉकलेट खाने की सलाह दी जाती है, लेकिन कच्ची चॉकलेट के भी अपने फायदे हैं। इसमें फ्री रेडिकल्स को नष्ट करने के गुण हैं। हाई एंटीऑक्सीडेंट लेवल शरीर को सिगरेट पीने और प्रदूषण के कारण बनने वाले फ्री रेडिकल से बचाते हैं। बता दें कि फ्री रेडिकल कैंसर और हृदय रोग को जन्म देकर हेल्दी टिश्यू को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
कोको में एल्कलॉइड, प्रोटीन, बीटा-कैरोटीन, ल्यूसीन, लिनोलिक, लाइपेज, लाइसिन और थियोब्रोमाइन सहित कई कंपोनेंट शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए मिलकर काम करते हैं। इसमें मौजूद मैग्नीशियम भी ग्लूकोज को ऊर्जा में बदलने में मदद करता है जिससे आपका माइंड शार्प होता है और फोकस के साथ काम कर पाता है।
मूड खराब होने और अवसाद की स्थिति से निपटने में लिए कच्ची चॉकलेट अपना कमाल दिखा सकती है। सेरोटोनिन, ट्रिप्टोफैन, टायरोसिन और फेनाइलेथैलामाइन कोको के बेहतरीन स्त्रोत हैं। ये सभी एक तरह के न्यूरोट्रांसमीटर्स हैं, जो न केवल व्यक्ति के खराब मूड को ठीक की उसे खुशी देते हैं बल्कि अवसाद को भी कम करने में हेल्प करते हैं।
फलों की स्मूदी में मिलाएं।
पाउडर को डेयरी या अखरोट के दूध के साथ मिलाएं।
जमे हुए दही, पेनकैक, मफिन्स कुकीज में कच्ची चॉकलेट से चॉकलेट चिप्स को रिप्लेस किया जा सकता है।
कच्ची चॉकलेट खरीदते समय उन लेबलों पर ध्यान दें जिन पर "raw" चॉकलेट या “cacao” लिखा हो।
उन लेबलों से बचें जिन पर “Roasted” लिखा हो।
जिस पर cocoa लिखा हो, वह न खरीेदें, इसका मतलब डार्क चॉकलेट होता है। जबकि cacao का मतलब कच्ची चॉकलेट से है।
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