ग्वालियर, मध्यप्रदेश। कैंसर एक विश्वव्यापी रोग है। इसकी भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे विश्व मे होने वाली कुल मौतों का एक बड़ा हिस्सा कैंसर द्वारा होता है। यह संख्या कुल मौतों का लगभग 13 प्रतिशत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 2008 में कैंसर से 76 लाख लोगों की मौत हुई थी।
शिवपुरी मेडिकल कॉलेज के डीन व जयारोग्य अस्पाल के कैंसर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.अक्षय निगम ने बताया कि इस रोग के अधिकांश मामलों मे ट्यूमर का निर्माण होता है। यह एक ऐसा रोग है इसमें शरीर की कोशिकाओं का एक समूह असीमित रूप से वृद्धि करता है अर्थात कोशिका विभाजन अनियंत्रित हो जाता है। कैंसर कोशिकाएं आस-पास के स्वस्थ उत्तकों पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर देतीं हैं और रक्त के साथ मिलकर पूरे शरीर मे फैल जाती हैं । हालांकि सारे ट्यूमर कैंसर नहीं होते हैं।
कीमोथेरेपी की क्या प्रक्रिया है :
जीआर मेडिकल कॉलेज रेडियोथेरिपी विभाग के प्राध्यापक डॉ. संजय चंदेल ने बताया कि यह कैंसर के उपचार की एक विधि है जिसमें ट्यूमर प्रतिरोधी दवाइयों का मानक मात्र में उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग रोग निवारण, जीवन अवधि को बढ़ाने या फिर लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग कैंसर के अन्य उपचारों जैसे-रेडियेशन थेरेपी, सजर्री, हाइपरथर्मिया के साथ मिलाकर किया जाता है। कीमोथेरेपिक एजेंट का मुख्य कार्य तेजी से विभाजित हो रही कोशिकाओं को नष्ट करना है, जो कैंसर कोशिकाओं का मुख्य गुण है। लेकिन इसके कारण सामान्य लेकिन तेजी से वृद्धि करनेवाली अन्य कोशिकाएं जैसे-बोन मैरो, पाचन तंत्र और बाल भी प्रभावित होते हैं। यही इसका साइड इफेक्ट है। कीमो के कारण प्रजनन तंत्र, लाल रक्तकणों पर प्रभाव पड़ता है, मुंह के छाले हो सकते हैं और कब्ज हो जाता है। बाल झड़ते हैं, लेकिन पुन: उग आते हैं। सिर के साथ शरीर के अन्य हिस्सों के भी बाल झड़ जाते हैं।
रेडियोथेरिपी विभाग के प्राध्यापक डॉ. संजय चंदेल के साथ सीधी बात :
भारत ही नहीं, बल्कि विश्व में कैंसर आज के समय में चुनौती बन कर उभरा है? इससे निबटना कैसे संभव है?
कैंसर से निबटने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है इस संबंध में जागरूकता फैलाना। भारत के ग्रामीण इलाकों समेत एक बड़े भाग में आज भी कैंसर के प्रति कई भ्रम हैं, जैसे- कैंसर का कोई इलाज संभव नहीं है, कैंसर से मौत निश्चित है। अगर हमें कैंसर से निबटना है, तो सबसे पहले जागरूकता लानी आवश्यक है। लोगों में जागरूकता फैलेगी, तो वह सावधान तो होगें ही, साथ ही समय पर इलाज करा कर इस बीमारी से बच भी सकेगें।
कैंसर होने के कितने समय बाद पता चलने पर इसकी रोकथाम के लिए इलाज करना संभव है?
यह कहना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि कभी लक्षण देर से दिखाई देते हैं तो कभी तत्काल ही नजर आने लगते हैं। वैसे जब भी कैंसर के बारे में पता चलें तो तुरंत इलाज शुरू करा देना चाहिए।
कितने लंबे समय तक कैंसर का इलाज चलता है?
आमतौर पर कैंसर का इलाज छह माह तक चलता है। वहीं मरीज की स्थिति के आधार पर इलाज का समय बढ़ाया भी जा सकता है। इलाज इस पर निर्भर करता है कि कैंसर किस स्टेज में है।
क्या किसी व्यक्ति को एक बार कैंसर होने के बाद दोबारा कैंसर होना संभव है?
जी हां, ऐसा जरूरी नहीं कि यदि किसी व्यक्ति को एक बार कैंसर हो गया तो उसे दोबारा नहीं होगा। कैंसर दोबारा और कई बार भी हो सकता है।
हम कैसे कैंसर से बच सकते हैं?
कैंसर ना हो, इसके लिए सावधानी बरतें। शराब का सेवन कम करें, धूम्रपान, तंबाकू आदि से तो दूर ही रहें।
कैंसर के कुछ प्रारंभिक लक्षण :
शरीर के किसी भी अंग में घाव, जो न भरे।
लंबे समय से शरीर के किसी भी अंग में दर्दरहित गांठ या सूजन।
स्तनों में गांठ या रिसाव, मल-मूत्र, उल्टी, थूक में खून आना।
आवाज में बदलाव, निगलने में दिक्कत, मल-मूत्र की सामान्य आदत में परिवर्तन, लंबे समय तक लगातार खांसी।
पहले से बनी गांठ, मस्सों व तिल का अचानक तेजी से बढऩा और रंग में परिवर्तन या पुरानी गांठ के आस-पास नयी गांठों का उभरना।
बिना कारण वजन घटना, कमजोरी आना या खून की कमी।
औरतों में स्तन में गांठ, योनी से अस्वाभाविक खून बहना, दो माहवारियों के बीच व यौन संबंधों के तुरंत बाद तथा 40-45 वर्ष की उर्म में माहवारी बंद हो जाने के बाद खून बहना।
स्तन कैंसर के मामले पुरूषों में भी :
अलग-अलग कैंसर के लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। आम तौर पर होने वाले कैंसर मुंह और गले के कैंसर हैं। इसके कई लक्षण हैं, जो साधारण व्यक्ति भी आसानी से पहचान सकता है, जैसे मुंह में छाले पड़ना, निगलने में परेशानी होना, पानी पीने में तकलीफ होना इत्यादि। महिलाओं में पीरियड खत्म होने पर भी खून का आते रहना बच्चेदानी का कैंसर होने का लक्षण है। स्तन कैंसर के मामले पुरुषों मे भी देखने को मिल रहे हैं। हालांकि उनकी संख्या अभी बहुत कम है। यह कांख से लेकर स्तन के ऊपरी हिस्से में होता है। इसके लक्षण महिलाओं के समान ही होते हैं, जैसे- स्तन मे गांठ पड़ना, इसके आकार मे परिवर्तन, लगातार बहाव होना, सूजन होना इत्यादि। इस तरह के लक्षण नजर आने पर इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कैंसर का पता चलने के बाद घबराना नहीं चाहिए और तुरंत इसका इलाज शुरू करवाना चाहिए।
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